ISKCON Mumbai Vs ISKCON Bengaluru: एक मंदिर दो दावेदार सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया आखिरी फैसला मंदिर की असली पहचान आई सामने

ISKCON Mumbai Vs Bengaluru Temple: सुप्रीम कोर्ट ने इस्कॉन मुंबई और इस्कॉन बेंगलुरु के बीच चल रहे लंबे विवाद पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि हरे कृष्णा हिल मंदिर बेंगलुरु अब इस्कॉन बेंगलुरु के पास ही रहेगा। कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट का पुराना फैसला रद्द कर दिया है।
मधु पंडित दास ने फैसले को बताया ऐतिहासिक
इस्कॉन बेंगलुरु के अध्यक्ष मधु पंडित दास ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को बहुत अहम बताया है। उन्होंने कहा कि यह दिन श्रील प्रभुपाद के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस्कॉन मुंबई उन लोगों को निकालना चाहता था जो श्रील प्रभुपाद को ही गुरु मानते हैं और मंदिर पर भी अधिकार चाहता था।
विवाद की जड़ क्या है
इस्कॉन मुंबई का दावा था कि इस्कॉन बेंगलुरु सिर्फ उसकी एक शाखा है और इसलिए बेंगलुरु मंदिर की सभी संपत्तियां मुंबई मुख्यालय के अधीन होनी चाहिए। जबकि इस्कॉन बेंगलुरु ने कहा कि वह कई वर्षों से स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहा है और उसने मंदिर को खुद बनाया और संचालित किया है।
निचली अदालत और हाईकोर्ट के फैसले
साल 2009 में निचली अदालत ने इस्कॉन बेंगलुरु के पक्ष में फैसला सुनाया था। लेकिन 2011 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया और इस्कॉन मुंबई को मंदिर पर अधिकार दे दिया। इसके बाद इस्कॉन बेंगलुरु सुप्रीम कोर्ट गया और अब वहां से उसे राहत मिल गई है।
अब बेंगलुरु मंदिर का मालिक कौन
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि बेंगलुरु का हरे कृष्णा हिल मंदिर इस्कॉन बेंगलुरु की संपत्ति है। मुंबई मुख्यालय का इस पर कोई अधिकार नहीं है। अब कानूनी रूप से मंदिर और उससे जुड़ी संपत्तियों का मालिकाना हक सिर्फ इस्कॉन बेंगलुरु के पास रहेगा।