Delhi Assembly Elections 2025: जानें क्यों हो सकता है उम्मीदवार का सुरक्षा जमानत ज़ब्त

Delhi Assembly Elections के परिणाम आज घोषित होने वाले हैं। दिल्ली के सभी 70 विधानसभा सीटों पर हुए मतदान का फैसला अब परिणाम के रूप में सामने आएगा। 5 फरवरी को दिल्ली में वोटिंग हुई थी और आज उन सभी उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा, जो भारतीय जनता पार्टी (BJP), आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में थे। लेकिन चुनावी प्रक्रिया केवल वोटिंग और परिणामों तक ही सीमित नहीं होती। इसमें एक और अहम पहलू है, जिसे हम सुरक्षा जमानत (Security Deposit) के रूप में जानते हैं। जब भी चुनाव परिणाम आते हैं, तो कई बार उम्मीदवारों का सुरक्षा जमानत ज़ब्त होने की खबरें आती हैं। तो क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? आइए जानते हैं इस पूरी प्रक्रिया के बारे में।
सुरक्षा जमानत, जिसे हम ‘सिक्योरिटी डिपॉजिट’ भी कहते हैं, उस राशि को कहते हैं, जिसे उम्मीदवार को चुनाव आयोग के पास जमा करना होता है ताकि वह चुनावी मैदान में उतर सके। यह प्रावधान 1961 में पारित ‘कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स’ के तहत किया गया था।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में, सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार को 10,000 रुपये की सुरक्षा जमानत देनी होती है, जबकि अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के उम्मीदवारों के लिए यह राशि 5,000 रुपये होती है। यह राशि चुनाव आयोग के पास जमा की जाती है और इसके पीछे एक विशेष उद्देश्य है।
सुरक्षा जमानत कब जब्त होती है?
अब सवाल यह उठता है कि उम्मीदवार का सुरक्षा जमानत क्यों ज़ब्त किया जाता है? दरअसल, सुरक्षा जमानत तब जब्त की जाती है, जब उम्मीदवार को चुनावी क्षेत्र में 1/6 (यानि 16.66%) से कम वोट मिलते हैं। चुनाव आयोग इस स्थिति में उम्मीदवार का सुरक्षा जमानत ज़ब्त कर लेता है। यह इसलिए किया जाता है ताकि उम्मीदवार चुनावी प्रक्रिया को गंभीरता से लें और इसका दुरुपयोग न करें।
यदि उम्मीदवार चुनावी क्षेत्र में 16.66% से अधिक वोट प्राप्त करता है, तो उसकी सुरक्षा जमानत उसे वापस कर दी जाती है। इसके अलावा, यदि कोई उम्मीदवार अपना नामांकन वापस लेता है या उसका नामांकन किसी कारणवश रद्द हो जाता है, तो उसकी सुरक्षा जमानत भी उसे लौटा दी जाती है।
सुरक्षा जमानत का उद्देश्य
सुरक्षा जमानत का उद्देश्य केवल उम्मीदवार को एक प्रकार से दंडित करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि उम्मीदवार चुनावी प्रक्रिया को गंभीरता से ले और किसी भी प्रकार की धांधली न करने पाए। यह एक तरह का जुर्माना भी है, जो यह प्रमाणित करता है कि उम्मीदवार ने चुनावी प्रक्रिया में भागीदारी को लेकर पूरी गंभीरता दिखाई।
आखिरकार, चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए एक सुरक्षा जमानत जमा करना, उम्मीदवार को यह एहसास कराता है कि चुनावी कर्तव्यों को निभाने में कोई ढिलाई नहीं होनी चाहिए। साथ ही, यह प्रणाली चुनावी मैदान में असंवैधानिक और गैर-संवेदनशील तत्वों के प्रवेश को रोकने का एक उपाय भी है।
लोकसभा चुनावों में सुरक्षा जमानत
सुरक्षा जमानत की प्रक्रिया केवल विधानसभा चुनावों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह लोकसभा चुनावों में भी लागू होती है। लोकसभा चुनावों में सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को 25,000 रुपये की सुरक्षा जमानत जमा करनी होती है, जबकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को 12,500 रुपये जमा करने होते हैं।
यह व्यवस्था उम्मीदवारों को यह सुनिश्चित करने के लिए मजबूर करती है कि वह चुनावी प्रक्रिया में पूरी गंभीरता और जिम्मेदारी के साथ शामिल हों।
सुरक्षा जमानत का उद्देश्य: उम्मीदवारों की जिम्मेदारी
सुरक्षा जमानत एक तरह से यह सुनिश्चित करने का उपाय है कि उम्मीदवार चुनावी क्षेत्र में वोटिंग प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल हो और चुनावी परिणामों को पूरी ईमानदारी से स्वीकार करे। यदि कोई उम्मीदवार चुनाव में अपनी पूरी क्षमता के साथ नहीं लड़ता और केवल ‘सार्वजनिक दिखावा’ के रूप में चुनावी मैदान में उतरता है, तो उसका सुरक्षा जमानत ज़ब्त कर लिया जाता है।
यह चुनाव आयोग की एक कड़ी प्रक्रिया है, जो चुनावी भ्रष्टाचार और अनावश्यक उम्मीदवारों के प्रवेश को रोकने का काम करती है। ऐसे में, यह कड़ी प्रक्रिया उम्मीदवारों के लिए एक कड़ा चेतावनी संदेश भी है कि वह चुनावी प्रक्रिया को गंभीरता से लें।
उम्मीदवार के लिए क्या है परिणाम?
सुरक्षा जमानत ज़ब्त होने से उम्मीदवार को यह संदेश मिलता है कि उसे चुनावी प्रक्रिया में पूरी प्रतिबद्धता से भाग लेना चाहिए और परिणाम को स्वीकार करना चाहिए। इसके साथ ही, अगर उम्मीदवार को सुरक्षा जमानत वापस मिलती है, तो यह उसकी चुनावी जीत और उसके द्वारा किए गए कार्यों की पुष्टि करती है।
इसलिए, सुरक्षा जमानत एक चुनावी प्रक्रिया का अहम हिस्सा है, जो न केवल उम्मीदवार के लिए एक वित्तीय जिम्मेदारी होती है, बल्कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति उम्मीदवार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।
सुरक्षा जमानत की प्रक्रिया चुनावी प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह एक प्रकार का सुरक्षा कवच है, जो यह सुनिश्चित करता है कि उम्मीदवार चुनावी प्रक्रिया में पूरी गंभीरता से भाग लें और किसी भी प्रकार की धांधली से बचें।
अगर सुरक्षा जमानत ज़ब्त होती है, तो यह एक संकेत होता है कि उम्मीदवार को चुनावी क्षेत्र में सक्रिय रूप से भाग नहीं लिया और यह पूरी प्रक्रिया को हल्के में लिया। दूसरी ओर, यदि जमानत वापस मिलती है, तो यह उम्मीदवार की जीत की पुष्टि होती है और उसकी ईमानदारी को दर्शाती है।