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2 बजट में मिडिल क्लास को तोहफा, टैक्स स्लैब में बदलाव और RBI से ब्याज दर में कमी की उम्मीद

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2025 को अपने बजट भाषण में मिडिल क्लास को बड़ा तोहफा दिया है। अब तक जो लोग सालाना 12 लाख रुपये तक कमाते थे, उनके लिए टैक्स छूट का लाभ मिलेगा। यह बदलाव भारतीय करदाताओं के लिए एक अहम कदम है, जो न केवल उन्हें राहत देगा बल्कि खपत और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने में मदद करेगा। इस फैसले के बाद, अब अगले तोहफे की उम्मीद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से है, क्योंकि 5 से 7 फरवरी तक होने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में प्रमुख ब्याज दर, यानि रेपो दर में कमी की संभावना जताई जा रही है।

बजट में टैक्स में बड़ी राहत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के बजट में मिडिल क्लास के लिए अहम टैक्स छूट की घोषणा की। अब जो लोग सालाना 12 लाख रुपये तक कमाते हैं, उन्हें कोई टैक्स नहीं देना होगा। यह फैसले से करोड़ों लोगों को सीधी राहत मिलेगी और उनका खर्च घटेगा।

इसके साथ ही, सरकार ने नए कर स्लैब की भी घोषणा की है। नए कर स्लैब के मुताबिक, 12 लाख रुपये से 16 लाख रुपये तक की आय पर 15 प्रतिशत, 16 लाख रुपये से 20 लाख रुपये तक की आय पर 20 प्रतिशत, 20 लाख रुपये से 24 लाख रुपये तक की आय पर 25 प्रतिशत और 24 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत कर लगाया जाएगा।

2 बजट में मिडिल क्लास को तोहफा, टैक्स स्लैब में बदलाव और RBI से ब्याज दर में कमी की उम्मीद

इस बदलाव से मिडिल क्लास के लोगों को खास राहत मिलेगी और अधिक पैसे बचाने का अवसर मिलेगा। सरकार का मानना है कि इस फैसले से खपत बढ़ेगी और आर्थिक वृद्धि में भी तेजी आएगी। इससे आम आदमी की जेब में ज्यादा पैसा रहेगा, जिसे वह खर्च करके अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद कर सकेगा।

नई टैक्स व्यवस्था से बढ़ेगा खर्च और GDP ग्रोथ

नए कर स्लैब में बदलाव से एक व्यक्ति को प्रतिवर्ष 25 लाख रुपये की आय पर कुल कर 3.43 लाख रुपये देना होगा, जबकि पहले इस पर कर 4.57 लाख रुपये था। इस हिसाब से, व्यक्ति को 5 प्रतिशत अधिक पैसा मिलेगा और वह हर महीने 9,500 रुपये बचा सकेगा। इस तरह, आम आदमी को मिलने वाली यह राहत न केवल उनके लिए फायदे की बात है, बल्कि यह समग्र आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगी। लोग अधिक खर्च करेंगे, जो अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है।

RBI द्वारा ब्याज दर में कमी की संभावना

अब सभी की नजरें भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पर हैं। उम्मीद की जा रही है कि फरवरी के पहले सप्ताह में होने वाली MPC बैठक में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कमी की घोषणा की जा सकती है। इस फैसले के बाद, विभिन्न बैंकों द्वारा कर्ज पर ब्याज दरें कम हो सकती हैं, जिससे बैंक से कर्ज लेने वालों के लिए EMI का बोझ हल्का हो जाएगा।

ब्याज दर में कमी का मतलब होगा कि पर्सनल लोन, होम लोन, ऑटो लोन और अन्य प्रकार के लोन सस्ते हो जाएंगे। खासतौर से, मिडिल क्लास परिवारों को इससे सीधा फायदा होगा। जब लोन की ब्याज दर कम होगी, तो लोगों के लिए महंगे लोन चुकाने में आसानी होगी और उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत होगी।

ब्याज दरों में कटौती का समय अब उपयुक्त लग रहा है, क्योंकि मौजूदा आंकड़े बताते हैं कि महंगाई में गिरावट आ रही है और GDP वृद्धि में मंदी का रुझान देखने को मिल रहा है। इस स्थिति में, RBI के लिए ब्याज दरों में कटौती करने का यह सही समय हो सकता है, ताकि आर्थिक गतिविधियों को और गति दी जा सके।

महंगाई में कमी और धीमी GDP वृद्धि का असर

हाल के महीनों में महंगाई की दर में काफी कमी आई है। इसका मतलब यह है कि अब बाजार में वस्तुओं की कीमतें स्थिर हो रही हैं और उपभोक्ताओं के लिए सामान सस्ते हो रहे हैं। इस स्थिति में, RBI के लिए यह सही मौका है कि वह आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती करें।

वहीं, आर्थिक वृद्धि की रफ्तार भी धीमी पड़ी है, जिससे यह संकेत मिलते हैं कि अब उपभोक्ता और निवेशक दोनों ही खर्च में कमी करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। ऐसे में, जब सरकार ने मिडिल क्लास को टैक्स में राहत दी है, तो RBI को भी अपनी मौद्रिक नीति में बदलाव करने की जरूरत है, ताकि आर्थिक वृद्धि में सुधार हो सके।

बजट 2025-26 ने मिडिल क्लास को जो राहत दी है, उससे उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार होगा और वे अधिक खर्च करने में सक्षम होंगे, जिससे अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके साथ ही, RBI द्वारा ब्याज दरों में संभावित कटौती से लोन सस्ते हो सकते हैं, जिससे मिडिल क्लास को और भी राहत मिलेगी। यह दोनों फैसले देश की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करेंगे और भारत की जीडीपी वृद्धि को मजबूत करेंगे।

इस प्रकार, 2025 का बजट और आगामी RBI की मौद्रिक नीति, दोनों मिलकर एक सकारात्मक दिशा में देश को आगे बढ़ाने का काम करेंगे।

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