China Sri Lanka Debt: श्रीलंका के कर्ज पुनर्गठन में चीन को 7 अरब डॉलर का नुकसान, भारत के साथ सहयोग की जताई उम्मीद

श्रीलंका के बाह्य ऋण (External Debt) पुनर्गठन में चीन को भारी नुकसान हुआ है। चीन के कोलंबो स्थित राजदूत क्यू झेनहोंग (Qi Zhenhong) ने बताया कि चीन को श्रीलंका के कर्ज पुनर्गठन में 7 अरब अमेरिकी डॉलर (US $ 7 billion) का नुकसान हुआ है। श्रीलंका के सरकारी अखबार ‘डेली न्यूज‘ ने राजदूत के हवाले से यह जानकारी दी है।
झेनहोंग ने कहा कि चीन, श्रीलंका के कर्ज पुनर्गठन समझौते में शामिल होने वाला पहला द्विपक्षीय ऋणदाता (Bilateral Lender) था।
चीन ने अक्टूबर 2023 में ही श्रीलंका के साथ कर्ज पुनर्गठन का समझौता किया था।
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि चीन इस सहायता की सार्वजनिक जानकारी नहीं देता है, इसलिए अधिकांश लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है।
श्रीलंका का आर्थिक संकट और कर्ज पुनर्गठन
श्रीलंका ने 2022 में भीषण आर्थिक संकट (Economic Crisis) के दौरान अपने 46 अरब डॉलर के बाहरी ऋण को पुनर्गठित किया था। इस कर्ज में चीन का भी बड़ा हिस्सा शामिल था।
श्रीलंका ने अप्रैल 2022 में पहली बार डिफॉल्ट घोषित किया था।
इसके बाद, देश ने अपने विदेशी कर्ज को पुनर्गठित करने के लिए विभिन्न देशों और संस्थाओं के साथ बातचीत शुरू की।
चीन, श्रीलंका का प्रमुख ऋणदाता है और उसने कर्ज पुनर्गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
भारत और चीन का सहयोग: राजदूत की उम्मीद
चीन के राजदूत झेनहोंग ने उम्मीद जताई कि भविष्य में भारत और चीन मिलकर श्रीलंका के उत्तरी प्रांत (Northern Province) के विकास के लिए काम करेंगे।
उन्होंने कहा कि चीन को भारत से कोई विवाद नहीं है और दोनों देश तेज गति से प्रगति कर रहे हैं।
राजदूत ने यह भी कहा कि चीन, भारत और श्रीलंका को एक दिन मिलकर इस क्षेत्र में व्यावहारिक परियोजनाओं (Viable Projects) को लागू करना चाहिए।
उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत और चीन, श्रीलंका के विकास में साझेदार बनकर आगे बढ़ सकते हैं।
भारत-चीन संबंधों पर पीएम मोदी की टिप्पणी की सराहना
इससे पहले, चीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारत-चीन संबंधों पर की गई सकारात्मक टिप्पणी की सराहना की।
सोमवार को चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग (Mao Ning) ने कहा कि चीन ने पीएम मोदी की हालिया टिप्पणी को नोट किया है और उनकी सराहना करता है।
पीएम मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन (Lex Fridman) के साथ बातचीत में कहा था कि संवाद (Dialogue), संघर्ष से बेहतर होता है।
माओ निंग ने कहा कि चीन को उम्मीद है कि भारत-चीन संबंधों में सकारात्मक बदलाव आएंगे और दोनों देश मिलकर क्षेत्रीय स्थिरता और विकास में योगदान देंगे।
चीन-श्रीलंका संबंधों पर प्रभाव
श्रीलंका के कर्ज पुनर्गठन में चीन को हुए नुकसान का चीन-श्रीलंका संबंधों पर गहरा असर पड़ सकता है।
चीन ने श्रीलंका को बड़े पैमाने पर कर्ज दिया था, जिसमें से बड़ी राशि पुनर्गठन के दौरान प्रभावित हुई।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन, श्रीलंका पर अपने आर्थिक प्रभाव को बनाए रखने के लिए इस नुकसान को सहन कर रहा है।
हालांकि, भारत की भी श्रीलंका में मजबूत उपस्थिति है, ऐसे में चीन और भारत के बीच कूटनीतिक संतुलन देखने को मिल सकता है।
श्रीलंका की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव
श्रीलंका को बाहरी कर्ज पुनर्गठन के बावजूद आर्थिक संकट से उबरने में मुश्किलें हो रही हैं।
देश को IMF (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) से वित्तीय सहायता मिली है, लेकिन कर्ज का बोझ अब भी भारी है।
विशेषज्ञों के अनुसार, श्रीलंका को अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने में कई वर्ष लग सकते हैं।
चीन के साथ कर्ज पुनर्गठन के बाद भी श्रीलंका की आर्थिक स्थिति स्थिर नहीं हो पाई है।
चीन का आर्थिक नुकसान: मुख्य बिंदु
- 7 अरब डॉलर का नुकसान: श्रीलंका के कर्ज पुनर्गठन में चीन को भारी नुकसान हुआ है।
- पहला द्विपक्षीय ऋणदाता: चीन ने अक्टूबर 2023 में पुनर्गठन समझौता किया था।
- गुप्त सहायता: चीन ने श्रीलंका को दी गई मदद की सार्वजनिक जानकारी नहीं दी।
- भारत और चीन का सहयोग: चीन चाहता है कि भारत के साथ मिलकर श्रीलंका में विकास कार्य किया जाए।
- पीएम मोदी की टिप्पणी की सराहना: चीन ने पीएम मोदी के भारत-चीन संबंधों पर दिए गए सकारात्मक बयान की सराहना की।
श्रीलंका के कर्ज पुनर्गठन में चीन को 7 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है, लेकिन चीन ने इस नुकसान को सार्वजनिक नहीं किया। राजदूत झेनहोंग ने भारत और चीन के बीच सहयोग की उम्मीद जताई और कहा कि दोनों देश मिलकर श्रीलंका के विकास में योगदान दे सकते हैं। इसके अलावा, चीन ने पीएम नरेंद्र मोदी की भारत-चीन संबंधों पर की गई सकारात्मक टिप्पणी की सराहना भी की। इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि श्रीलंका को कर्ज संकट से उबारने में भारत और चीन की भूमिका महत्वपूर्ण बनी रहेगी।