व्यापार

भारत पर दोहरे टैरिफ से शेयर बाजार में अनिश्चितता, ट्रंप ने बातचीत की संभावना से किया इनकार

भारत पर अमेरिका द्वारा लगाए गए 25 प्रतिशत बेस टैरिफ और फिर रूसी तेल खरीदने के चलते राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले ने निवेशकों के बीच भारी संदेह और असमंजस का माहौल बना दिया है। यह फैसला भारत की वैश्विक व्यापार स्थिति को प्रभावित कर सकता है, जिसका असर सीधे तौर पर निवेशकों के भरोसे और शेयर बाजार पर देखा जा रहा है। हालांकि भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार वार्ता को लेकर कुछ उम्मीदें अभी भी बनी हुई हैं, लेकिन ट्रंप ने यह साफ कर दिया है कि जब तक टैरिफ विवाद सुलझ नहीं जाता, तब तक वे भारत से किसी भी प्रकार की बातचीत के पक्ष में नहीं हैं।

सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन भारी गिरावट के साथ बंद हुआ बाजार

इस अनिश्चित वातावरण का सीधा असर शेयर बाजार पर पड़ा। सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन, बीएसई सेंसेक्स 800 अंकों की भारी गिरावट के साथ बंद हुआ। वहीं, एनएसई निफ्टी 50 भी 24,350 के स्तर तक फिसल गया। निवेशकों के लिए यह दिन बेहद निराशाजनक रहा क्योंकि विदेशी व्यापारिक दबाव और टैरिफ की आशंका ने बाजार की स्थिरता को प्रभावित किया। इसके साथ ही क्लायन ज्वेलर्स के शेयरों में 11 प्रतिशत तक की गिरावट ने निवेशकों की चिंता और बढ़ा दी।

भारत पर दोहरे टैरिफ से शेयर बाजार में अनिश्चितता, ट्रंप ने बातचीत की संभावना से किया इनकार

नुकसान में रहे ये प्रमुख शेयर, कुछ ने दिखाई मजबूती

आज के कारोबार में कई बड़ी कंपनियों के शेयर घाटे में रहे। नुकसान में जाने वाले प्रमुख शेयरों में भारती एयरटेल, एक्सिस बैंक, टाटा स्टील, अदाणी पोर्ट्स और कोटक महिंद्रा बैंक शामिल रहे। वैश्विक दबाव और निवेशकों की सतर्कता के चलते इन कंपनियों के शेयरों पर दबाव बना रहा। दूसरी ओर, कुछ शेयरों ने बाज़ार में मजबूती दिखाई और लाभ में रहे। टाइटन, एनटीपीसी, टेक महिंद्रा, मारुति सुजुकी और बजाज फिनसर्व के शेयरों में सकारात्मक रुझान देखा गया।

आगे की रणनीति: निवेशकों को रहना होगा सतर्क

इस आर्थिक और राजनीतिक अनिश्चितता के दौर में निवेशकों को सतर्कता से कदम उठाने की जरूरत है। अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव अगर लंबे समय तक चलता है, तो इसका असर लंबे समय तक बाजार पर दिख सकता है। ऐसे में सुरक्षित और दीर्घकालिक निवेश विकल्पों पर विचार करना बेहतर होगा। साथ ही, सरकार और नीति-निर्माताओं को चाहिए कि वे विदेशी व्यापार तनाव को कम करने और घरेलू निवेशकों के भरोसे को बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाएं। निवेशकों की नजर अब अगले सप्ताह बाजार की दिशा और अमेरिका-भारत संबंधों में किसी संभावित बदलाव पर टिकी रहेगी।

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