Tirupati temple laddu controversy: विशेष जांच दल ने चार लोगों को किया गिरफ्तार, गीहू में मिले पशु वसा

Tirupati temple laddu controversy: आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में लड्डू विवाद के बाद से भक्तों में भारी गुस्सा देखा जा रहा है। तिरुपति मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू में पशु वसा मिलने के आरोप ने देशभर में हलचल मचा दी है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया था, जिसे केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के तहत जांच का आदेश दिया गया था। अब इस जांच दल ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जो विभिन्न डेयरियों से जुड़े हुए थे और उन्होंने तिरुपति मंदिर में बटर (घी) में पशु वसा मिलाने का कार्य किया था।
विशेष जांच दल (SIT) ने आरोपितों की पहचान की है, जिनमें से चार लोग विभिन्न डेयरियों से जुड़े हुए हैं। गिरफ्तार व्यक्तियों में भोल बाबा डेयरी के पूर्व निदेशक विपिन जैन और पोमिल जैन, वैश्वनि डेयरी के अपूर्वा चावड़ा और एआर डेयरी के राजू राजशेखरन शामिल हैं। अधिकारियों के अनुसार, इन लोगों ने तिरुपति मंदिर में प्रसाद के रूप में वितरित होने वाले लड्डुओं में घी की आपूर्ति के दौरान घपला किया और पशु वसा का इस्तेमाल किया।
आरोपितों का कनेक्शन किस डेयरी से था?
विशेष जांच दल (SIT) ने रविवार रात यह खुलासा किया कि गिरफ्तार किए गए चार लोग विभिन्न डेयरियों से जुड़े हुए थे। इनमें से दो लोग भोल बाबा डेयरी से थे, एक व्यक्ति वैश्वनि डेयरी से था और एक व्यक्ति एआर डेयरी से था। SIT जांच से पता चला है कि इन डेयरियों के अधिकारियों ने मिलकर तिरुपति मंदिर में घी की आपूर्ति की थी, जिसमें पशु वसा का प्रयोग किया गया था।
इसके अलावा, SIT की जांच में यह भी पाया गया कि वैश्वनि डेयरी के अधिकारियों ने एआर डेयरी के नाम पर तिरुपति मंदिर को घी आपूर्ति के लिए टेंडर प्राप्त किए थे और इसके लिए उन्होंने झूठे रिकॉर्ड तैयार किए थे। SIT ने यह भी खुलासा किया कि वैश्वनि डेयरी ने यह गलत दावा किया था कि वह घी भोल बाबा डेयरी से प्राप्त कर रही थी, जबकि भोल बाबा डेयरी के पास तिरुपति मंदिर की आवश्यकता पूरी करने की क्षमता नहीं थी।
SIT टीम और जांच की प्रक्रिया
SIT टीम में पांच सदस्य शामिल थे, जिनमें दो केंद्रीय एजेंसी के अधिकारी, दो आंध्र प्रदेश पुलिस के अधिकारी और एक खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के अधिकारी थे। इस विशेष जांच दल का गठन पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर किया गया था, ताकि तिरुपति लड्डू में पशु वसा के इस्तेमाल के आरोप की जांच की जा सके।
सूत्रों के अनुसार, SIT की जांच में यह बात सामने आई कि भोल बाबा डेयरी के पास वह क्षमता नहीं थी कि वह तिरुपति मंदिर के लिए आवश्यक घी की आपूर्ति कर सके। इसके बावजूद, वैश्वनि डेयरी ने अपने आपूर्ति चैनल को सही बताकर टेंडर प्राप्त किए और पशु वसा का इस्तेमाल किया।
चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया था
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने सितंबर में आरोप लगाया था कि तिरुपति लड्डू बनाने में पशु वसा का इस्तेमाल किया गया है। नायडू ने यह आरोप लगाया था कि यह घपला राज्य में पिछले सरकार द्वारा किया गया था, जिसका नेतृत्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी कर रहे थे। नायडू के बयान के बाद इस मामले में राजनीति भी गर्मा गई थी और यह बड़ा विवाद बन गया था।
इसके बाद, भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी और YSRCP के राज्यसभा सदस्य YV सुब्बा रेड्डी ने इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 4 अक्टूबर 2024 को इस मामले की जांच SIT द्वारा कराने का आदेश दिया था और इसे CBI निदेशक द्वारा निगरानी रखने का निर्देश दिया था।
क्या है तिरुपति लड्डू का महत्व?
तिरुपति मंदिर के लड्डू न केवल आंध्र प्रदेश, बल्कि पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। श्रद्धालु इन लड्डुओं को प्रसाद के रूप में प्राप्त करते हैं और इसे तिरुपति स्वामी के आशीर्वाद का प्रतीक मानते हैं। इस विवाद ने लाखों भक्तों के विश्वास को आघात पहुँचाया है और उनके मन में यह सवाल उठ खड़ा किया है कि क्या वे अब इस प्रसाद को खा सकते हैं या नहीं।
आगे की कार्रवाई
अब इस मामले में SIT और CBI की जांच तेज हो गई है और आरोपितों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है। इसके अलावा, इस मामले में उन सभी डेयरियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है, जिन्होंने तिरुपति मंदिर के लिए घी आपूर्ति की थी।
इस पूरी घटना ने न केवल तिरुपति मंदिर के लड्डू को लेकर विश्वास को चुनौती दी है, बल्कि यह भी साबित किया है कि खाद्य सुरक्षा और मानकों का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है, खासकर जब बात धार्मिक स्थल के प्रसाद की हो।
तिरुपति मंदिर लड्डू विवाद अब एक राजनीतिक, धार्मिक और कानूनी मुद्दा बन चुका है, और आगे की जांच से कई और चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं।