भारत पहुंचे फिलीपींस राष्ट्रपति मार्कोस, मोदी संग बड़ी बातचीत कल, क्या रक्षा सौदे की नई इबारत लिखी जाएगी?

फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस जूनियर सोमवार दोपहर भारत की राजधानी नई दिल्ली पहुंचे। उनका यह दौरा दोनों देशों के बीच रणनीतिक और आर्थिक संबंधों को नई दिशा देने के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। मंगलवार को उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से द्विपक्षीय बैठक होगी, जिसमें रक्षा, व्यापार, निवेश और समुद्री सुरक्षा जैसे कई अहम मुद्दों पर बातचीत होगी। दोनों देशों ने इस मुलाकात को आपसी सहयोग को और गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।
रक्षा सहयोग को मिलेगा नया आयाम
मोदी और मार्कोस की मुलाकात में सबसे ज्यादा ध्यान रक्षा संबंधों को मजबूत करने पर दिया जाएगा। फिलीपींस को साल 2024 में भारत से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली की पहली खेप मिल चुकी है, और इसकी आपूर्ति भी शुरू हो चुकी है। अब दोनों देशों के बीच कुछ नए रक्षा सौदों को लेकर बातचीत चल रही है, जिन पर इस बैठक में अंतिम फैसला हो सकता है। साथ ही यह भी बताया गया है कि भारत और फिलीपींस की नौसेनाएं जल्द ही दक्षिण चीन सागर में संयुक्त समुद्री अभ्यास की शुरुआत करेंगी, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
इंडो-पैसिफिक पर भी होगी चर्चा, चीन के साथ विवाद हैं एक अहम मुद्दा
बैठक के दौरान इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिति पर भी विशेष चर्चा होगी। चीन के साथ फिलीपींस का दक्षिण चीन सागर में और भारत का हिमालयी क्षेत्र में सीमा विवाद जारी है। ऐसे में दोनों देश सामरिक दृष्टि से एक-दूसरे के स्वाभाविक सहयोगी बनते जा रहे हैं। समुद्री सुरक्षा के मुद्दे पर आपसी सहयोग को गहरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह भी माना जा रहा है कि दोनों नेता इस क्षेत्र में स्थायित्व और शांति सुनिश्चित करने के लिए एक संयुक्त रणनीति पर चर्चा कर सकते हैं।
व्यापार और डिजिटल तकनीक में सहयोग बढ़ाने पर जोर
इस दौरे के दौरान आर्थिक संबंधों को भी एक नई दिशा देने की कोशिश की जाएगी। हाल ही में अमेरिका ने फिलीपींस से आयात होने वाले सामानों पर 19 प्रतिशत ड्यूटी लगा दी है, जिससे मनीला को अपने व्यापारिक साझेदारों की ओर देखने की जरूरत महसूस हो रही है। भारत के साथ व्यापार, निवेश और डिजिटल तकनीक के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना अब फिलीपींस की प्राथमिकता बन चुका है। ऐसे में दोनों नेता इन क्षेत्रों में नए समझौते और योजनाओं पर विचार कर सकते हैं, जिससे द्विपक्षीय व्यापार को गति मिलेगी और भविष्य के लिए एक मजबूत आर्थिक साझेदारी स्थापित हो सकेगी।