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JP Associates बिक गई Vedanta को 17,000 करोड़ में, लेकिन Yamuna Expressway का क्या हुआ? जानिए सस्पेंस

2000 के दशक में जयप्रकाश एसोसिएट्स (JP Associates) रियल एस्टेट सेक्टर की उभरती कंपनियों में से एक थी। कंपनी ने सीमेंट, पावर और निर्माण क्षेत्रों में तेज़ी से विकास किया और भारत के बड़े प्रोजेक्ट्स में सक्रिय भागीदारी की। इसके बावजूद वित्तीय संकट के कारण कंपनी दिवालिया हो गई और अंततः बिक्री के लिए मजबूर हो गई। वेदांता ग्रुप ने इस कंपनी को 17,000 करोड़ रुपये में खरीद लिया। यह सौदा भारतीय उद्योग जगत में चर्चा का विषय बन गया क्योंकि JP Associates के कई बड़े प्रोजेक्ट्स देश में महत्वपूर्ण माने जाते थे।

यमुना एक्सप्रेसवे का सवाल

हाल ही में यमुना नदी में बाढ़ की खबरें आ रही हैं, लेकिन यमुना के नाम पर बने यमुना एक्सप्रेसवे का निर्माण JP Associates ने किया था। अब, जब वेदांता ग्रुप ने JP Associates को खरीद लिया है, तो लोगों में सवाल उठता है कि क्या यमुना एक्सप्रेसवे अब वेदांता के स्वामित्व में आ जाएगा। इस सवाल का जवाब है नहीं। यमुना एक्सप्रेसवे बनाने वाली कंपनी जयपे इंफ्राटेक लिमिटेड को मुंबई स्थित सुरक्षा ग्रुप ने दिवालियापन प्रक्रिया के तहत पहले ही खरीद लिया था। सुरक्षा ग्रुप के मालिक सुधीर वालिया हैं, जो सन फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज के सह-संस्थापक भी हैं।

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जयपे ग्रुप की अन्य कंपनियाँ

जयपे ग्रुप की एक बड़ी पहचान इसके होटल और रिसॉर्ट्स प्रोजेक्ट्स में भी है। दिल्ली में जयपे वसंत कॉन्टिनेंटल और जयपे सिद्धार्थ होटल, ग्रेटर नोएडा में जयपे ग्रींस गोल्फ रिसॉर्ट एंड स्पा, आगरा में जयपे पैलेस एंड कन्वेंशन सेंटर और मसूरी में जयपे रेजिडेंसी मैनर प्रमुख हैं। इसके अलावा, जयपे ग्रुप ने कई इंजीनियरिंग और हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स में भी निवेश किया। इनमें मध्य प्रदेश और तेलंगाना में सिंचाई परियोजनाएँ, उत्तराखंड में 60 मेगावाट क्षमता वाला नाइटवार मोरी हाइड्रो प्रोजेक्ट, भूटान में 1020 मेगावाट का पुनत्सांगछू-II और नेपाल में 900 मेगावाट का अरुण-3 हाइड्रो प्रोजेक्ट शामिल हैं।

यमुना एक्सप्रेसवे का निर्माण और महत्व

जयपे ग्रुप ने 2003 में नोएडा और आगरा को जोड़ने वाले प्रोजेक्ट की शुरूआत की और इसके बाद 165 किलोमीटर लंबा यमुना एक्सप्रेसवे विकसित किया। यह प्रोजेक्ट 2001 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित किया गया था। यमुना एक्सप्रेसवे को प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (PPP) के तहत बनाया गया और 9 अगस्त 2012 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा औपचारिक रूप से जनता के लिए खोला गया। इस एक्सप्रेसवे के निर्माण पर लगभग 13,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए। यह परियोजना उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था और परिवहन क्षेत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है और देश में सड़क और यातायात सुधार के क्षेत्र में एक मिसाल बन गई है।

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