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कांग्रेस का दावा, पंजाब के 30 AAP विधायक तैयार हैं पार्टी बदलने, केजरीवाल ने दिल्ली में की मीटिंग

पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार के लिए अब अगले चुनावों में सबसे बड़ी चुनौती सामने आ गई है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद, AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल का अगला टार्गेट पंजाब में अपनी सत्ता को बनाए रखना है। इस क्रम में, केजरीवाल ने आज दिल्ली में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, सभी मंत्रियों, विधायकों और सांसदों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में पंजाब AAP संगठन के मंत्री भी मौजूद थे।

पंजाब में AAP के मंत्रियों और विधायकों के बीच बढ़ती असंतोष की स्थिति

AAP सूत्रों के मुताबिक, पंजाब के अमृतसर, जालंधर और लुधियाना सहित कई ऐसे विधायक हैं जो लंबे समय से मुख्यमंत्री भगवंत मान से नाराज हैं। इन नाराज विधायकों की संख्या लगभग 17-18 बताई जा रही है, और यह विधायक अरविंद केजरीवाल से अलग से मुलाकात कर सकते हैं। यह राजनीतिक स्थिति पंजाब में गर्मा गई है और इसे लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।

कांग्रेस का दावा, पंजाब के 30 AAP विधायक तैयार हैं पार्टी बदलने, केजरीवाल ने दिल्ली में की मीटिंग

पंजाब में AAP के पास 94 विधायक, 117 में से

फिलहाल, AAP के पास पंजाब विधानसभा में 117 सीटों में से 94 विधायक हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में AAP ने शानदार जीत हासिल की थी और मुख्यमंत्री भगवंत मान को केजरीवाल का करीबी साथी माना जाता है। AAP ने पंजाब में अपनी सरकार बनाई थी और भगवंत मान को मुख्यमंत्री नियुक्त किया था।

कांग्रेस ने किया बड़ा दावा, 30 विधायक AAP छोड़ने के लिए तैयार

कांग्रेस ने दावा किया है कि AAP के करीब 30 विधायक उनके संपर्क में हैं और पार्टी बदलने के लिए तैयार हैं। कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि पिछले एक साल से करीब 30 AAP विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं और वे पार्टी बदलने के लिए तैयार हैं। इस दावे ने पंजाब में राजनीतिक हलचल को और बढ़ा दिया है।

पंजाब कैबिनेट बैठक की टालने की प्रक्रिया और उसके मायने

पंजाब में राज्य कैबिनेट की बैठक 6 फरवरी को होनी थी, लेकिन इसे 10 फरवरी के लिए पुनः स्थगित किया गया और अब यह 13 फरवरी को प्रस्तावित की गई है। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक का एजेंडा अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल पार्टी के विधायकों से अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में जनता से जुड़ने और ‘आम आदमी’ के तौर पर काम करने की अपील कर सकते हैं, ताकि सत्ता के लाभों से प्रभावित न हों।

इस बैठक को लेकर AAP के आनंदपुर साहिब से सांसद मलविंदर सिंह कंग ने कहा कि यह बैठक एक निरंतर प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पार्टी नेताओं से फीडबैक लेना है ताकि भविष्य की रणनीति बनाई जा सके। कंग ने यह भी कहा कि यह एक संगठनात्मक बैठक है, जिसका उद्देश्य भविष्य के लिए रणनीति तैयार करना है, क्योंकि सभी पार्टी इकाइयों से फीडबैक लिया जा रहा है।

पंजाब में कांग्रेस का बढ़ता प्रभाव और AAP की रणनीति

कांग्रेस का दावा है कि AAP के विधायकों में असंतोष बढ़ रहा है और उनकी पार्टी के संपर्क में करीब 30 विधायक हैं। ऐसे में AAP के लिए पंजाब में अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इससे पहले, पंजाब में कैबिनेट की बैठक के टाले जाने को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही थीं कि इसका संबंध विधायकों के बीच की असहमति से हो सकता है।

पंजाब की राजनीति में कांग्रेस के इस दावे ने AAP के लिए संकट खड़ा कर दिया है, क्योंकि पार्टी का दावा है कि वह अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसी बीच, केजरीवाल ने इस मीटिंग को पार्टी की आगामी रणनीति के हिस्से के रूप में देखा है।

आने वाली रणनीति: AAP का फोकस जनता और संगठन पर

AAP के नेताओं और विधायकों से मिली जानकारी के अनुसार, केजरीवाल इस बैठक में विधायकों से यह अपील कर सकते हैं कि वे चुनावी क्षेत्र में जनता से जुड़कर काम करें और ‘आम आदमी’ की तरह अपने कार्यों को आगे बढ़ाएं। इससे पार्टी के नेताओं को सत्ता के लाभ से बाहर रहने की प्रेरणा मिल सकती है और वे अपने मूल उद्देश्य की ओर केंद्रित रहेंगे।

कांग्रेस के आरोप और AAP का जवाब

कांग्रेस के आरोपों के बाद AAP की तरफ से यह बयान सामने आया है कि पार्टी में कोई असंतोष नहीं है और सभी विधायक पार्टी के साथ खड़े हैं। हालांकि, इस मामले पर केजरीवाल और पार्टी के अन्य नेताओं ने किसी प्रकार की टिप्पणी करने से परहेज किया है। इसके बावजूद, पंजाब की राजनीति में यह स्थिति हर किसी के लिए चौंकाने वाली है, क्योंकि सत्ता में रहते हुए पार्टी के विधायकों का असंतोष इस समय के लिए एक बड़ी चिंता बन सकता है।

पंजाब में AAP के लिए आगे आने वाले चुनावों में यह एक महत्वपूर्ण परीक्षा का समय है। जहां कांग्रेस अपनी ताकत बढ़ाने के लिए AAP के विधायकों के असंतोष को भुनाने की कोशिश कर रही है, वहीं AAP के लिए यह समय अपनी रणनीति को फिर से तैयार करने का है। आगामी कैबिनेट बैठक, विधायकों की स्थिति और कांग्रेस के दावों के बाद यह देखना होगा कि AAP अपने विधायकों और जनता से किस तरह से जुड़कर अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करती है।

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