New tax system में टैक्स बचाने के लिए बेहतरीन निवेश योजनाएं, जानें किससे बचा सकते हैं टैक्स

New tax system में 1 अप्रैल से बदलाव होने जा रहे हैं। सरकार ने नए टैक्स सिस्टम में उन लोगों को बड़ी राहत दी है, जिनकी आय ₹12 लाख तक है। अब इस आय सीमा तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। हालांकि, नए टैक्स सिस्टम में निवेश पर मिलने वाली टैक्स छूट का कोई लाभ नहीं है। यह छूट केवल उन्हीं लोगों को मिलती है जिन्होंने पुराने टैक्स सिस्टम को चुना है और उसी के अनुसार टैक्स भरते हैं। अगर आप अभी भी पुराने टैक्स सिस्टम के तहत टैक्स भर रहे हैं और टैक्स बचाने के लिए एक बेहतरीन निवेश योजना की तलाश कर रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए है।
बैंक FD (फिक्स्ड डिपॉजिट)
बैंक में कम से कम 5 साल का FD (फिक्स्ड डिपॉजिट) निवेश करने से आप टैक्स बचा सकते हैं। भारतीय आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80C के तहत, अगर आप 5 साल के लिए FD में निवेश करते हैं, तो आप हर साल ₹1.5 लाख तक की टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैं। यह एक सुरक्षित और लोकप्रिय निवेश विकल्प है, जिसे कई लोग अपने टैक्स बचाने के लिए चुनते हैं। बैंक FD पर मिलने वाली ब्याज दरें समय-समय पर बदलती रहती हैं, लेकिन 5 साल के FD में निवेश करने से आपको एक निश्चित रिटर्न मिलता है, और साथ ही टैक्स में भी छूट मिलती है।
पेंशन योजना (Pension Plan)
पेंशन योजना में निवेश करने से भी आप टैक्स बचा सकते हैं। पेंशन योजना में आप जो प्रीमियम भरते हैं, वह भारतीय आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80CCC के तहत ₹1.5 लाख तक के टैक्स डिडक्शन के योग्य होते हैं। पेंशन योजना आपको एक निश्चित आय सुनिश्चित करने का भी अवसर देती है, जब आप रिटायर हो जाते हैं। यह लंबी अवधि के लिए निवेश करने का एक अच्छा विकल्प है, जिसमें टैक्स बचाने के साथ-साथ भविष्य के लिए एक मजबूत वित्तीय सुरक्षा भी मिलती है।
ULIP (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान)
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) भी टैक्स बचाने के लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। ULIP में किए गए निवेश पर आपको भारतीय आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की टैक्स छूट मिलती है। ULIP एक निवेश और बीमा का संयोजन है, जो आपके निवेश को मार्केट लिंक्ड रिटर्न देता है, साथ ही जीवन बीमा कवर भी प्रदान करता है। ULIP को टैक्स बचाने के साथ-साथ एक दीर्घकालिक निवेश विकल्प के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें विभिन्न बाजार स्थितियों के अनुसार अच्छा रिटर्न मिलने की संभावना होती है।
ELSS म्यूचुअल फंड (इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम)
ELSS (इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम) म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने से भी आप टैक्स बचा सकते हैं। यह म्यूचुअल फंड स्कीम 3 साल के लॉक-इन पीरियड के साथ आती है, जिसका मतलब है कि आपको निवेश की रकम को 3 साल के लिए रोके रखना होगा। ELSS फंड्स में किए गए निवेश पर भारतीय आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की टैक्स छूट मिलती है। ELSS में निवेश करने से आपको बाजार से जुड़े रिटर्न मिलते हैं, जो समय के साथ बढ़ सकते हैं। हालांकि, यह जोखिम-आधारित निवेश होता है, इसलिए इसमें अच्छा रिटर्न पाने के लिए एक लंबी अवधि तक निवेश करना महत्वपूर्ण होता है।
निवेश योजनाओं का चयन करते समय ध्यान रखें ये बातें
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अपने वित्तीय लक्ष्यों को समझें: निवेश से पहले यह समझना जरूरी है कि आपका वित्तीय लक्ष्य क्या है। अगर आपको लंबी अवधि के लिए निवेश करना है, तो पेंशन योजना और ULIP जैसे विकल्पों पर विचार करें। वहीं, अगर आपको टैक्स बचाने के साथ-साथ जल्दी रिटर्न की आवश्यकता है, तो ELSS म्यूचुअल फंड्स अच्छा विकल्प हो सकते हैं।
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सुरक्षा और जोखिम का संतुलन: बैंक FD जैसे सुरक्षित निवेश विकल्पों में टैक्स छूट मिलती है, लेकिन इनका रिटर्न अपेक्षाकृत कम होता है। वहीं, ULIP और ELSS जैसे निवेश जोखिम-आधारित होते हैं, लेकिन इनमें ज्यादा रिटर्न की संभावना होती है। इसलिए अपनी जोखिम सहनशीलता के हिसाब से योजना का चयन करें।
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लॉक-इन पीरियड: अगर आप टैक्स बचाने के लिए ELSS जैसे विकल्पों में निवेश करते हैं, तो ध्यान रखें कि इनका एक निश्चित लॉक-इन पीरियड होता है, जो 3 साल तक हो सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए निवेश का फैसला करें।
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निवेश की राशि: भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत अधिकतम ₹1.5 लाख तक की टैक्स छूट मिलती है, इसलिए निवेश की राशि भी इसी सीमा के भीतर होनी चाहिए।
अगर आप पुराने टैक्स सिस्टम में हैं और टैक्स बचाने के लिए अच्छे निवेश विकल्प की तलाश कर रहे हैं, तो बैंक FD, पेंशन योजना, ULIP, और ELSS म्यूचुअल फंड्स जैसे विकल्प आपके लिए उपयुक्त हो सकते हैं। इन योजनाओं में निवेश करने से आप न केवल टैक्स बचा सकते हैं, बल्कि अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक मजबूत आधार भी बना सकते हैं। निवेश करते समय अपने जोखिम स्तर, वित्तीय लक्ष्यों और लॉक-इन पीरियड को ध्यान में रखते हुए उचित योजना का चयन करें।