टेक्नॉलॉजी

Who-Fi: कैमरा और लोकेशन तक पहुंच! आपकी हर हरकत पर नजर रखेगी नई AI वाई-फाई तकनीक

वायरलेस नेटवर्क की दुनिया में एक नई तकनीक ने दस्तक दी है, जिसका नाम है Who-Fi। यह एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित वाई-फाई तकनीक है जो इंसानों की पहचान और उनकी गतिविधियों को ट्रैक करने में सक्षम है। फिलहाल यह तकनीक शोध के स्तर पर है और इसे अभी वास्तविक दुनिया में परीक्षण नहीं किया गया है, लेकिन इसकी क्षमताएं और उपयोग संभावनाएं भविष्य में निजता के लिए गंभीर चुनौती बन सकती हैं। Who-Fi न केवल स्थान और गतिविधि पर नजर रख सकता है, बल्कि यह कैमरा और अन्य विजुअल इनपुट के जरिए किसी भी व्यक्ति की पहचान भी कर सकता है। इसके कारण तकनीकी दुनिया में एक नई बहस शुरू हो गई है कि यह तकनीक सुविधा लाएगी या स्वतंत्रता को बाधित करेगी।

Wi-Fi को बॉयोमेट्रिक स्कैनर में बदलने की क्षमता

Who-Fi तकनीक से जुड़ा एक शोध पत्र ऑनलाइन जर्नल arXiv में प्रकाशित किया गया है, जिसमें बताया गया है कि यह वाई-फाई सिग्नल को एक बायोमेट्रिक स्कैनर में बदल सकता है। यह किसी भी व्यक्ति की गतिविधियों, स्थान और बॉयोमेट्रिक पहचान को ट्रैक कर सकता है। यह तकनीक पारंपरिक 2.4GHz Wi-Fi सिग्नल का इस्तेमाल करती है और एक ट्रांसफार्मर-आधारित न्यूरल नेटवर्क (transformer-based neural network) की मदद से “Channel State Information” (CSI) का विश्लेषण करती है। जब कोई व्यक्ति Who-Fi ज़ोन में आता है, तो उसके शरीर से टकराकर वापस आने वाले वाई-फाई सिग्नल एक अनूठा पैटर्न बनाते हैं — यह पैटर्न उस व्यक्ति के फिंगरप्रिंट, चेहरे की बनावट और रेटिना जैसी विशेषताओं पर आधारित होता है। यही पैटर्न उसकी पहचान बन जाता है।

Who-Fi: कैमरा और लोकेशन तक पहुंच! आपकी हर हरकत पर नजर रखेगी नई AI वाई-फाई तकनीक

दीवार के पीछे छिपे व्यक्ति की भी पहचान संभव

Who-Fi तकनीक की सबसे खास बात यह है कि यह एक बहुत ही साधारण सेटअप पर काम करती है — जिसमें एक ट्रांसमीटर पर एक एंटीना और रिसीवर पर तीन एंटीना होते हैं। शोध में दावा किया गया है कि यह तकनीक किसी भी व्यक्ति को 95.5% सटीकता से पहचान सकती है, भले ही वह व्यक्ति दीवार के पीछे क्यों न हो। यह तकनीक एक रडार और सोनार सिस्टम की तरह काम करती है, जिसमें भेजे गए सिग्नल जब किसी वस्तु या व्यक्ति से टकराकर लौटते हैं तो उनके आधार पर पहचान संभव होती है। खास बात यह है कि यह तकनीक passive radio frequency का उपयोग करती है, जिससे इसे पकड़ना या इससे छिपना बेहद मुश्किल हो जाता है।

संकेत भाषा को समझने और दोबारा पहचानने की क्षमता

Who-Fi की एक और उल्लेखनीय विशेषता यह है कि यह तकनीक सांकेतिक भाषा (sign language) को भी समझने में सक्षम है। इसका मतलब यह हुआ कि यह तकनीक न केवल शारीरिक गतिविधियों को ट्रैक कर सकती है, बल्कि इंसान के इशारों को भी समझ सकती है। इतना ही नहीं, यदि कोई व्यक्ति एक लंबे समय बाद फिर से उस क्षेत्र में प्रवेश करता है, तो यह तकनीक उसकी पहचान फिर से कर सकती है — केवल उसकी चाल-ढाल और गतिविधियों के आधार पर। इस विशेषता से यह सुरक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है, लेकिन इसके साथ ही यह निजता और नागरिक अधिकारों के लिए गंभीर सवाल भी खड़े करती है।

Who-Fi तकनीक निश्चित ही वाई-फाई और AI की दुनिया में एक बड़ी छलांग है। यह तकनीक सुरक्षा और निगरानी के क्षेत्र में जबरदस्त उपयोगी साबित हो सकती है — जैसे हवाई अड्डों, सीमाओं या संवेदनशील क्षेत्रों में। लेकिन इसकी ताकत और सटीकता इसे एक निजता के संकट में भी बदल सकती है। जब कोई तकनीक आपको बिना कैमरे या अनुमति के ट्रैक कर सकती है, तो यह सवाल उठता है कि आपकी व्यक्तिगत जानकारी और जीवन कितना सुरक्षित है?

इसलिए, जब तक इस तकनीक को कानूनी ढांचे और नैतिक दिशानिर्देशों के साथ पूरी तरह से विनियमित नहीं किया जाता, तब तक इसके उपयोग को लेकर संतुलित दृष्टिकोण अपनाना जरूरी होगा। तकनीक का विकास ज़रूरी है, लेकिन मानव अधिकारों और निजता की कीमत पर नहीं।

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