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RBI MPC मीट आज, क्या बढ़ेगी ब्याज दरें या आएगा 0.25% कट? एक्सपर्ट्स की भविष्यवाणी चौंकाएगी

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की द्विमासिक समीक्षा बैठक सोमवार से शुरू हो गई है। यह समिति ब्याज दरों और मौद्रिक नीति के अन्य पहलुओं पर निर्णय लेती है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस बार नीति दरों में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा, जबकि कुछ ने 0.25% की कटौती की संभावना जताई है। इस बैठक का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि वैश्विक तनाव और अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर 50% उच्च शुल्क लगाए जाने से अर्थव्यवस्था पर दबाव है।

MPC बैठक में वैश्विक और घरेलू दबाव

इस बैठक की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा कर रहे हैं। छह सदस्यीय समिति का निर्णय बुधवार को घोषित किया जाएगा। फरवरी से अब तक आरबीआई ने तीन दौर में रेपो दर को कुल 1 प्रतिशत अंक घटाया है। हालांकि, अगस्त की समीक्षा में रेपो दर 5.50% पर स्थिर रखी गई थी। गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि फिलहाल रेपो दर और मौद्रिक नीति की स्थिति स्थिर रहने की संभावना है। वहीं, इस रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर की अगली बैठक में 0.25% की कटौती की संभावना है। बजाज ब्रोकिंग का कहना है कि इस बार बाजार में कोई बड़ा बदलाव अपेक्षित नहीं है।

RBI MPC मीट आज, क्या बढ़ेगी ब्याज दरें या आएगा 0.25% कट? एक्सपर्ट्स की भविष्यवाणी चौंकाएगी

ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें

रियल एस्टेट क्षेत्र का मानना है कि खुदरा मुद्रास्फीति में मंदी और जीएसटी स्लैब में बदलाव से कर भार कम हुआ है, जिससे दरों में कटौती की गुंजाइश बनी है। प्रवीण शर्मा, CEO, Housing.com ने कहा कि त्योहारों का समय घर खरीदने के लिए सबसे अच्छा है और ब्याज दरों में कटौती बिक्री को बढ़ावा दे सकती है। अशोक कपूर, अध्यक्ष, Chrysumi Corporation ने भी कहा कि दरों में कमी से आवासीय मांग बढ़ेगी।

RBI की सतर्कता और भविष्य की रणनीति

हालांकि, शिखर अग्रवाल, अध्यक्ष, BLS ई-सर्विसेज का मानना है कि मजबूत घरेलू मांग और हाल ही में जीएसटी सुधारों को देखते हुए आरबीआई सतर्क दृष्टिकोण अपना सकती है। उनका कहना है कि नीति समिति “वेट-एंड-सी” (देखो और निर्णय लो) की रणनीति अपनाएगी। यानी, मौजूदा वैश्विक और घरेलू परिस्थितियों को देखते हुए कोई तत्काल बड़ा निर्णय लेने से बचा जा सकता है। इस बैठक के परिणामों को निवेशक, रियल एस्टेट सेक्टर और आम उपभोक्ता बड़ी निगाहों से देख रहे हैं, क्योंकि यह सीधे कर्ज़ दरों और आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करेगा।

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