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महिलाओं और ट्रांसजेंडर के लिए खुशखबरी, नए लेबर कोड से मिलेगा समान वेतन और काम करने के नए नियम

भारत में कार्यक्षेत्र में बड़ा बदलाव आने वाला है। सरकार ने चार नए श्रम संहिताएँ लागू की हैं, जो 29 पुराने श्रम कानूनों को समेटती हैं। ये नियम 400 मिलियन से अधिक कर्मचारियों और श्रमिकों के काम, वेतन और अधिकारों पर सीधा प्रभाव डालेंगे। इन संहिताओं का मकसद काम के माहौल को आधुनिक बनाना और कर्मचारियों के अधिकारों को मजबूत करना है।

वेतन संहिता: न्यूनतम वेतन और समानता की गारंटी

नए वेतन संहिता के अनुसार, देश के सभी कर्मचारी चाहे वे संगठित क्षेत्र में हों या असंगठित, अब न्यूनतम वेतन का हकदार होंगे। सरकार एक फर्श वेतन तय करेगी, जिसके नीचे किसी भी राज्य को न्यूनतम वेतन निर्धारित करने की अनुमति नहीं होगी। इसके साथ ही कंपनियों को अब डबल ओवरटाइम वेतन देना होगा। महिलाओं और ट्रांसजेंडर कर्मचारियों के साथ भर्ती और वेतन में भेदभाव पूरी तरह से बंद होगा।

महिलाओं और ट्रांसजेंडर के लिए खुशखबरी, नए लेबर कोड से मिलेगा समान वेतन और काम करने के नए नियम

औद्योगिक संबंध संहिता: नौकरी की सुरक्षा और पारदर्शिता

औद्योगिक संबंध संहिता में नौकरी की सुरक्षा और पारदर्शिता पर विशेष जोर दिया गया है। फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को केवल एक साल के काम के बाद ग्रेच्युटी मिलने लगेगी। हड़तालों के लिए 14 दिन पहले नोटिस देना अनिवार्य होगा ताकि अचानक हड़तालों से बचा जा सके। सेवा क्षेत्र में वर्क-फ्रॉम-होम को कानूनी मान्यता मिल गई है। महिलाओं को शिकायत निवारण समितियों में समान भागीदारी मिलेगी। साथ ही 300 कर्मचारियों से कम वाले उद्योगों में छंटनी और बंदी पर प्रतिबंध होगा।

सामाजिक सुरक्षा संहिता: गैर-परंपरागत श्रमिकों को राहत

सामाजिक सुरक्षा संहिता से गिग वर्कर्स, प्लेटफॉर्म वर्कर्स और असंगठित क्षेत्र के करोड़ों लोगों को लाभ मिलेगा। ESIC अब पूरे देश में लागू होगा, जो पहले केवल चयनित क्षेत्रों तक सीमित था। EPF से संबंधित मामलों की जांच के लिए समय सीमा निर्धारित की गई है, जिससे कर्मचारियों को राहत मिलेगी। ऑफिस जाने-आने के दौरान हुए किसी भी दुर्घटना को कार्यालय से संबंधित माना जाएगा। फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को भी एक साल के काम के बाद ग्रेच्युटी का अधिकार मिलेगा।

सुरक्षा और कार्य स्थितियां संहिता: कर्मचारियों की सुरक्षा सर्वोपरि

यह संहिता कर्मचारियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर केंद्रित है। इसके तहत हर कर्मचारी को साल में एक बार मुफ्त स्वास्थ्य जांच करानी होगी। कार्य का समय 8 घंटे प्रतिदिन और 48 घंटे प्रति सप्ताह निर्धारित किया गया है। महिलाएं अब नाइट शिफ्ट में काम कर सकती हैं, लेकिन उन्हें आवश्यक सुरक्षा उपाय भी मुहैया कराए जाएंगे। साथ ही, विभिन्न राज्यों में काम करने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाया जाएगा ताकि उनकी जानकारी एक जगह रिकॉर्ड हो और उन्हें सेवाएं आसानी से मिल सकें।

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