Leh-Ladakh में भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल पर तीव्रता 3.6, अफगानिस्तान में भी महसूस हुए कंपन

Leh-Ladakh में सोमवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.6 मापी गई। भूकंप का केंद्र लेह-लद्दाख क्षेत्र ही बताया जा रहा है। हल्के झटकों के कारण किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन लोग घरों से बाहर निकल आए।
इससे पहले, अफगानिस्तान में भी तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.2 मापी गई थी। अफगानिस्तान में भूकंप का केंद्र काबुल के पास बताया गया।
भूकंप क्यों आते हैं? जानिए मुख्य कारण
भूकंप पृथ्वी की सतह पर होने वाली प्राकृतिक घटनाएं हैं, जो मुख्य रूप से आंतरिक संरचना में दबाव और हलचल के कारण उत्पन्न होती हैं। भारत में भूकंप का मुख्य कारण हिमालय क्षेत्र में होने वाली टेक्टोनिक गतिविधियां हैं।
यह क्षेत्र भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट की टक्कर के कारण भूकंपीय रूप से संवेदनशील रहता है। इन प्लेटों के बीच लगातार टकराव और तनाव के कारण ऊर्जा का संचय होता रहता है। जब यह ऊर्जा एक साथ बाहर निकलती है, तो भूकंप के झटके महसूस होते हैं।
टेक्टोनिक प्लेट्स का खेल: भूकंप का विज्ञान
दरअसल, पृथ्वी की सतह टेक्टोनिक प्लेट्स से बनी होती है। ये प्लेट्स निरंतर हलचल में रहती हैं। जब ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकराती हैं या अलग होती हैं, तो उनके बीच दबाव बनता है।
इस दबाव के कारण ऊर्जा उत्पन्न होती है। यदि यह ऊर्जा धीरे-धीरे बाहर निकलती रहती है, तो हल्के झटके आते रहते हैं। इससे बड़ी मात्रा में ऊर्जा इकट्ठा नहीं होती और विनाशकारी भूकंप की संभावना कम रहती है।
लेकिन जब प्लेट्स के बीच तनाव अधिक बढ़ जाता है और ऊर्जा एक साथ निकलती है, तो भारी तबाही वाला भूकंप आता है।
EQ of M: 3.6, On: 24/03/2025 04:32:58 IST, Lat: 34.35 N, Long: 78.06 E, Depth: 10 Km, Location: Leh Ladakh, Ladakh.
For more information Download the BhooKamp App https://t.co/5gCOtjdtw0 @DrJitendraSingh @OfficeOfDrJS @Ravi_MoES @Dr_Mishra1966 @ndmaindia pic.twitter.com/XX8eaTC0bN— National Center for Seismology (@NCS_Earthquake) March 23, 2025
रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता कैसे मापी जाती है?
भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल का उपयोग किया जाता है। यह स्केल भूकंप की तीव्रता को 0 से 10 के बीच मापता है।
0 से 1.9: केवल सिस्मोग्राफ (Seismograph) ही कंपन रिकॉर्ड करता है।
2 से 2.9: बहुत हल्की हलचल होती है, महसूस नहीं होती।
3 से 3.9: भारी वाहन के गुजरने जैसा एहसास होता है।
4 से 4.9: घरों में रखे सामान गिर सकते हैं।
5 से 5.9: फर्नीचर और भारी वस्तुएं हिल सकती हैं।
6 से 6.9: इमारतों की नींव में दरार आ सकती है।
7 से 7.9: इमारतें गिर जाती हैं।
8 से 8.9: सुनामी का खतरा, भारी तबाही।
9 और उससे अधिक: सबसे भयानक भूकंप, जमीन बुरी तरह हिलती है।
भूकंप से बचाव के उपाय: क्या करें और क्या न करें
भूकंप के दौरान जीवन बचाने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी आवश्यक हैं:
भूकंप के दौरान करें:
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खुले मैदान में पहुंचने का प्रयास करें।
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यदि घर में हैं, तो मजबूत फर्नीचर, टेबल या बेड के नीचे छुपें।
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बिजली उपकरणों से दूर रहें।
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लिफ्ट का प्रयोग न करें, सीढ़ियों का इस्तेमाल करें।
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सिर को हेलमेट या तकिये से कवर करें।
भूकंप के दौरान न करें:
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खिड़की या कांच के पास खड़े न हों।
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धातु की वस्तुओं को न छूएं।
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भागदौड़ न करें, इससे चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है।
भारत में भूकंप संवेदनशील क्षेत्र: कहां सबसे ज्यादा खतरा?
भारत में कुछ क्षेत्र भूकंप के लिए अत्यधिक संवेदनशील हैं। ये क्षेत्र मुख्य रूप से हिमालयी पट्टी में स्थित हैं, जहां भारतीय और यूरेशियन प्लेट्स की टक्कर होती है।
उत्तराखंड: उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, देहरादून और चमोली जैसे क्षेत्र संवेदनशील हैं।
हिमाचल प्रदेश: कुल्लू, मंडी, शिमला, कांगड़ा में भूकंप का खतरा अधिक रहता है।
जम्मू-कश्मीर: श्रीनगर, लेह, कारगिल, बारामूला जैसे क्षेत्र संवेदनशील माने जाते हैं।
पूर्वोत्तर भारत: मणिपुर, मिज़ोरम, नागालैंड, असम भूकंप प्रवण क्षेत्र में आते हैं।
अफगानिस्तान में भी आए झटके
लेह-लद्दाख के साथ ही अफगानिस्तान में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। वहां भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.2 मापी गई।
काबुल और उसके आसपास के क्षेत्रों में कंपन महसूस किया गया। वहां भी किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन लोग डर के कारण घरों से बाहर निकल आए।
भूकंप का असर: भविष्य में खतरा बरकरार
विशेषज्ञों का कहना है कि लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में भूकंप की गतिविधियां बढ़ रही हैं। यह क्षेत्र सीस्मिक जोन-4 और 5 में आता है, जो उच्च भूकंप संभावित क्षेत्र हैं।
भूकंप वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां बार-बार हल्के झटकों का आना किसी बड़े भूकंप का संकेत हो सकता है।
लेह-लद्दाख में 3.6 तीव्रता का भूकंप हल्का था, लेकिन इससे बड़े भूकंप का संकेत मिलता है। भारत जैसे भूकंप संभावित देश में सुरक्षा उपाय अपनाना जरूरी है।
सरकार और आम जनता को मिलकर भूकंप से बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाने चाहिए। साथ ही, सीस्मिक गतिविधियों पर नजर रखना भी आवश्यक है।