मराठी न बोल पाने पर व्यापारी की पिटाई! नेताओं पर बरसे Chirag Paswan- क्या भाषा के नाम पर हिंसा अब सामान्य हो गई है?

Chirag Paswan: महाराष्ट्र में इन दिनों मराठी और हिंदी भाषा को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। खासकर मीरा-भायंदर इलाके से एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कार्यकर्ताओं द्वारा एक मारवाड़ी व्यापारी की कथित रूप से पिटाई की गई। आरोप है कि व्यापारी मराठी भाषा नहीं बोल पाया जिस कारण उसे निशाना बनाया गया। यह मामला अब राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक चर्चा का विषय बन गया है और नेताओं की प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं।
चिराग पासवान बोले – कब तक भाषा और जाति में बंटेंगे भारतीय
केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने इस विवाद पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा, “यह मेरी समझ से परे है कि हम भारतीयों को कितनी और कितनी बार बांटा जाएगा। कभी भाषा के नाम पर, कभी धर्म और कभी जाति के नाम पर।” उन्होंने कहा कि मातृभाषा पर गर्व करना गलत नहीं है लेकिन अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरी भाषा को नहीं समझता तो उस पर हमला करना बिल्कुल भी सही नहीं। उन्होंने एकता में विविधता को भारत की असली पहचान बताया।
भाषा की आड़ में राजनीति करने वालों पर साधा निशाना
चिराग पासवान ने कुछ नेताओं पर भाषाई और क्षेत्रीय मुद्दों को हवा देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, “कुछ नेता अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए समाज में बंटवारे की राजनीति कर रहे हैं जो बेहद निंदनीय है।” उन्होंने ऐसे नेताओं को चेतावनी देते हुए कहा कि देश को बांटने की कोशिशों का विरोध हर भारतीय को करना चाहिए। उन्होंने नागरिकों से आपसी सम्मान और संवेदनशीलता बनाए रखने की अपील की।
मुख्यमंत्री फडणवीस की सख्त चेतावनी – हिंसा बर्दाश्त नहीं होगी
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और साफ कहा है कि “मराठी भाषा पर गर्व करना गलत नहीं है लेकिन अगर कोई इसकी आड़ में गुंडागर्दी करेगा तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने कहा कि पुलिस ने इस घटना पर एफआईआर दर्ज कर ली है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी। सीएम फडणवीस ने दोहराया कि महायुति सरकार आम नागरिकों के खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं करेगी।
भाषा नहीं, संवाद हो आधार – भारत की विविधता ही पहचान है
यह विवाद केवल महाराष्ट्र तक सीमित नहीं रह गया बल्कि इसने पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या भाषा के नाम पर किसी के साथ ऐसा व्यवहार उचित है। भारत एक बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक देश है और यहां हर क्षेत्र की अपनी भाषा और संस्कृति है। संवाद, समझदारी और सहिष्णुता ही वह पुल है जो अलग-अलग भाषाओं और संस्कृतियों को जोड़ता है। देश को एकजुट रखने के लिए हमें भाषा के सम्मान के साथ-साथ दूसरों की भाषा को भी सम्मान देना सीखना होगा।