Atlas Browser लॉन्च: ChatGPT से इंटरनेट सर्च होगा आसान, OpenAI ने Google को दी सीधी टक्कर

OpenAI ने मंगलवार को अपना नया वेब ब्राउज़र Atlas पेश किया। इस लॉन्च के साथ ही कंपनी सीधे तौर पर Google जैसी दिग्गज कंपनियों से मुकाबले में आ गई है, क्योंकि बढ़ती संख्या में इंटरनेट उपयोगकर्ता AI आधारित उत्तरों पर भरोसा कर रहे हैं। OpenAI की नई रणनीति ChatGPT को केवल एक चैटबॉट से बढ़ाकर ऑनलाइन सर्च का केंद्र बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। इसका उद्देश्य डिजिटल विज्ञापन और वेबसाइट ट्रैफिक से अधिक राजस्व प्राप्त करना है। हालांकि, विशेषज्ञों को यह चिंता है कि अगर ChatGPT सीधे सारांशात्मक उत्तर देने लगे, तो पारंपरिक वेबसाइटों पर यूजर्स की क्लिकिंग घट सकती है, जिससे ऑनलाइन प्रकाशकों की ट्रैफिक प्रभावित हो सकती है।
ब्राउज़र युद्ध में नई शुरुआत
OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने इस लॉन्च को “एक दशक में एक अनोका अवसर” बताया है, जो ब्राउज़र के इस्तेमाल के तरीके को बदल सकता है। तकनीकी विशेषज्ञ पैडी हैरिंग्टन का मानना है कि Google जैसी दिग्गज कंपनी के साथ मुकाबला करना चुनौतीपूर्ण होगा। पिछले कुछ महीनों में ब्राउज़र मार्केट पर कानूनी और व्यावसायिक निगरानी भी तेज हुई है। हाल ही में OpenAI के एक अधिकारी ने कहा कि अगर किसी अदालत ने Google को Chrome बेचने का आदेश दिया, तो कंपनी इसे खरीदने में रुचि रखती। हालांकि, अमेरिकी अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया। Google Chrome के लगभग 3 अरब उपयोगकर्ता हैं और इसमें पहले ही Gemini AI फीचर्स जोड़े जा चुके हैं। Chrome की सफलता ने 2008 में यह साबित किया कि तेज़ी और प्रदर्शन पूरे मार्केट को बदल सकता है। अब OpenAI इसी राह पर कदम बढ़ा रहा है।

Altman का विज़न और ‘Agent Mode’
सैम ऑल्टमैन का मानना है कि भविष्य में पारंपरिक ब्राउज़र के URL बार की जगह AI चैट इंटरफ़ेस ले लेगा। Atlas का सबसे महत्वपूर्ण फीचर है ‘Agent Mode’, जो यूज़र के लैपटॉप से जुड़कर उनके लिए इंटरनेट पर खोज करता है और क्लिक करता है। यह उपयोगकर्ता के ब्राउज़िंग इतिहास और उद्देश्य को समझता है और उन्हें अनुकूलित परिणाम प्रदान करता है। Altman के शब्दों में, “यह आपके लिए इंटरनेट का उपयोग करता है।” हालांकि, विशेषज्ञों ने इसे यूज़र प्राइवेसी और नियंत्रण के लिए खतरा बताया है। उनका कहना है कि यह फीचर उपयोगकर्ता की जानकारी पर आधारित प्रोफाइल बना सकता है और विज्ञापनों से प्रभावित परिणाम दिखा सकता है।
AI पर बढ़ती निर्भरता और नैतिक चिंताएं
हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार, अमेरिका में 60% नागरिक और 30 साल से कम उम्र के 74% युवा AI का उपयोग जानकारी प्राप्त करने के लिए करते हैं। Google ने भी पिछले वर्ष अपने सर्च रिज़ल्ट में AI जनरेटेड सारांश दिखाना शुरू किया। हालांकि, इस प्रवृत्ति से दो बड़ी समस्याएं उभर रही हैं: पहली, ‘हैलुसीनेशन’ यानी गलत जानकारी, और दूसरी, कॉपीराइट विवाद। उदाहरण के लिए, New York Times ने OpenAI पर कॉपीराइट उल्लंघन का मुकदमा किया है, जबकि Associated Press जैसी एजेंसियों ने लाइसेंसिंग डील को प्राथमिकता दी। यूरोपीय ब्रॉडकास्टिंग यूनियन की एक रिपोर्ट में पाया गया कि प्रमुख AI असिस्टेंट्स, जिनमें ChatGPT और Google Gemini शामिल हैं, द्वारा दिए गए आधे से अधिक उत्तर गलत या अधूरे थे। यह दर्शाता है कि AI आधारित खोज में संभावनाएं बड़ी हैं, लेकिन सुरक्षा, सटीकता और नैतिक जिम्मेदारी पर भी ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है।
