सुप्रीम कोर्ट की सख़्त टिप्पणी, दिल्ली की बरसात और सड़क जाम पर उठे गंभीर सवाल

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में बारिश के बाद हालात कैसे बिगड़ जाते हैं, इस पर देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने बड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि “आप जानते हैं दिल्ली में क्या होता है, अगर दो घंटे बारिश हो जाए तो पूरा शहर ठप हो जाता है।” सीजेआई ने यह टिप्पणी उस समय की, जब सुप्रीम कोर्ट में केरल के त्रिशूर ज़िले में स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग 544 (NH-544) पर टोल वसूली को लेकर सुनवाई हो रही थी। इस मामले में केरल हाईकोर्ट ने सड़क की ख़राब स्थिति के कारण टोल वसूली पर रोक लगा दी थी। इसके खिलाफ NHAI (राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है।
सुप्रीम कोर्ट में उठे टोल और जाम के सवाल
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें CJI बी.आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन.वी. अंजरिया शामिल थे, इस मामले की सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान अदालत ने 12 घंटे तक लगे जाम का ज़िक्र करते हुए कहा कि “अगर किसी व्यक्ति को सड़क की एक छोर से दूसरे छोर तक जाने में 12 घंटे लगते हैं, तो उससे टोल क्यों वसूला जाए?” अदालत ने यह भी साफ किया कि जब तक सड़कें ठीक नहीं होतीं और यात्रियों को सुविधा नहीं मिलती, तब तक टोल वसूली का औचित्य ही सवालों के घेरे में है।
हाईकोर्ट का आदेश और सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही
दरअसल, केरल हाईकोर्ट ने सड़क की बदहाल स्थिति को देखते हुए टोल वसूली पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि जब लोग टोल टैक्स भरते हैं तो उन्हें अच्छी और सुरक्षित सड़क की सुविधा मिलनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। इस आदेश के खिलाफ NHAI ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फिलहाल फैसला सुरक्षित रख लिया है। गौरतलब है कि इससे पहले 14 अगस्त को भी अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा था कि जब सड़कें ठीक नहीं हैं और लोग घंटों जाम में फंसे रहते हैं, तो फिर टोल वसूली का कोई औचित्य नहीं है।
सड़क और ट्रैफिक प्रबंधन पर गंभीर सवाल
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी ने एक बार फिर देशभर की सड़कों और ट्रैफिक प्रबंधन की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राजधानी दिल्ली का उदाहरण देते हुए सीजेआई ने दिखाया कि देश की सबसे महत्वपूर्ण जगह पर भी दो घंटे की बारिश शहर को ठप कर देती है। ऐसे में छोटे राज्यों और शहरों में लोगों को किस हद तक मुश्किलों का सामना करना पड़ता होगा, इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है। अदालत की यह टिप्पणी न सिर्फ सरकार और प्रशासन के लिए चेतावनी है, बल्कि यह संदेश भी है कि नागरिकों को सुविधाएँ देना सिर्फ वादों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट NHAI की इस अपील पर अंतिम आदेश क्या देता है और टोल वसूली को लेकर आगे क्या दिशा-निर्देश तय किए जाते हैं।