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Akhilesh Yadav ने महाकुंभ भगदड़ पर योगी सरकार को घेरा, मांग की सभी दलों की बैठक बुलाने की

Akhilesh Yadav: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर आ गई है, और इस बार समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने महाकुंभ में हुई भगदड़ पर कड़ा हमला बोला है। अखिलेश यादव ने बजट सत्र के दौरान राज्य सरकार से महाकुंभ के हादसे को लेकर जवाब मांगा और इस मामले में सभी दलों की बैठक बुलाने की मांग की। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि वह महाकुंभ में हुई दुर्घटनाओं और मौतों के आंकड़े क्यों नहीं प्रस्तुत कर रही है।

महाकुंभ की भगदड़ पर सवाल उठाते हुए अखिलेश यादव ने क्या कहा?

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने संसद में कहा, “सरकार लगातार बजट आंकड़े दे रही है, लेकिन महाकुंभ में हुई भगदड़ में मारे गए लोगों के आंकड़े भी सामने लाए जाएं। मेरी मांग है कि एक सभी दलों की बैठक बुलाई जाए और महाकुंभ की व्यवस्थाओं को लेकर स्पष्टता दी जाए। महाकुंभ में हादसा प्रबंधन और खोए हुए लोगों की मदद के लिए जिम्मेदारी सेना को सौंपनी चाहिए।”

अखिलेश यादव ने कहा कि महाकुंभ में मारे गए लोगों, घायलों के इलाज, दवाइयों, डॉक्टरों की उपलब्धता, भोजन, पानी और परिवहन की व्यवस्था के आंकड़े संसद में पेश किए जाएं। साथ ही उन्होंने कहा कि इस घटना के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और जो लोग सच्चाई को छिपा रहे हैं, उन्हें सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने योगी सरकार से पूछा, “अगर कोई गलती नहीं थी, तो आंकड़े क्यों दबाए गए, क्यों छिपाए गए और क्यों मिटाए गए?”

खोए हुए लोगों की सहायता के लिए खोले गए सेंटर भी नाकाम

अखिलेश यादव ने कहा कि महाकुंभ के स्थल पर खोए हुए लोगों की सहायता के लिए खोले गए सेंटर भी पूरी तरह से नाकाम साबित हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इन सेंटरों से खोए हुए लोगों की कोई मदद नहीं मिल रही है। अखिलेश यादव ने इस दुखद घटना में मारे गए लोगों के लिए संसद में दो मिनट का मौन धारण करने की भी मांग की।

अधिकारियों ने हादसे के सबूतों को मिटाने की कोशिश की: अखिलेश यादव

सपा प्रमुख ने इस हादसे को लेकर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि हादसे के बाद, घटना स्थल से सबूतों को मिटाने के लिए JCB मशीनों का इस्तेमाल किया गया। अखिलेश यादव ने कहा, “हादसे के बाद फूलों की बारिश की जा रही थी, लेकिन क्या यह सचमुच संतान परंपरा थी? हादसे के स्थान पर पड़े हुए चप्पल, कपड़े और साड़ियां JCB और ट्रैक्टर ट्रॉली से उठा ली गईं। कोई नहीं जानता कि ये सब कहां फेंके गए? सब कुछ छिपाने की कोशिश की गई है।”

महाकुंभ में ‘अमृत स्नान’ की पारंपरिक समय पर नहीं हो पाई शुरुआत

अखिलेश यादव ने यह भी आरोप लगाया कि महाकुंभ में परंपरागत ‘अमृत स्नान’ समय पर नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार में महाकुंभ के इस पारंपरिक स्नान को समय पर शुरू नहीं किया गया और इसके कारण श्रद्धालु भारी दुखद स्थिति का सामना कर रहे हैं। “यहां लोग पुण्य कमाने के लिए आए थे, लेकिन उन्हें अपने परिजनों के शव लेकर वापस जाना पड़ा,” उन्होंने कहा।

अखिलेश यादव की दूसरी मांग: जाति गणना की मांग

महाकुंभ हादसे पर चर्चा करते हुए अखिलेश यादव ने एक और महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया। उन्होंने संसद में जाति जनगणना की मांग की। अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारतीय समाज की जातिगत संरचना का सही आंकलन हो, ताकि योजनाओं का लाभ सही तरीके से समाज के हर वर्ग तक पहुंच सके।

महाकुंभ की दुर्घटना: सवालों के घेरे में सरकार

महाकुंभ में हुई भगदड़ और उससे जुड़े हादसों ने न केवल उत्तर प्रदेश सरकार को बल्कि केंद्र सरकार को भी सवालों के घेरे में ला दिया है। जबकि इस हादसे की जांच शुरू कर दी गई है, विपक्षी दलों का मानना है कि इस मामले में पूरी तरह से पारदर्शिता की आवश्यकता है। अखिलेश यादव और अन्य विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि सरकार ने इस हादसे से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियों को छुपाया है।

इसके अलावा, कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस घटना का राजनीतिक प्रभाव भी होगा, खासकर आगामी विधानसभा चुनावों में। महाकुंभ की इस घटना ने बीजेपी सरकार की तैयारियों और प्रबंधन की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं।

समाजवादी पार्टी ने क्यों उठाया महाकुंभ की भगदड़ का मामला?

समाजवादी पार्टी ने महाकुंभ की भगदड़ को लेकर इस मामले को संसद में उठाया ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके। पार्टी का मानना है कि यह मामला सिर्फ एक हादसा नहीं है, बल्कि यह सरकार की नाकामी का प्रतीक है। अखिलेश यादव की यह मांग सरकार के लिए एक चुनौती बन सकती है, क्योंकि यदि सरकार इस मामले में ठोस कदम नहीं उठाती है, तो विपक्ष इसे अपने चुनावी अभियान का हिस्सा बना सकता है।

अखिलेश यादव की ओर से महाकुंभ हादसे को लेकर की गई कड़ी आलोचना के बाद यह सवाल उठता है कि क्या यूपी सरकार इस मुद्दे पर जवाब देगी? इस घटनाक्रम पर सरकार की ओर से अब तक कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है, लेकिन यह निश्चित है कि यह मामला आगामी राजनीतिक घटनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। अब देखना यह है कि सरकार इस मुद्दे को किस दिशा में ले जाती है और क्या किसी प्रकार की जांच या कार्रवाई होती है।

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