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मोदी ने मन की बात में अपील की, देशवासी स्वदेशी वस्तुएं अपनाएं और आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा दें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘मन की बात’ कार्यक्रम 29 जून रविवार को 123वीं बार प्रसारित हुआ। देश की 22 भाषाओं में पेश होने वाले इस कार्यक्रम की शुरुआत पीएम ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से की। उन्होंने कहा कि योग दिवस अब पूरे विश्व में भव्य रूप ले चुका है। पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर में सैनिकों के योग अभ्यास से लेकर तेलंगाना में दिव्यांगजनों के योग की चर्चा की। इसके साथ ही अमरनाथ यात्रा और कैलाश यात्रा का जिक्र करते हुए उन्होंने यात्रियों और उनकी मदद कर रहे लोगों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने यह भी कहा कि हर किसी को अपने खानपान में 10 प्रतिशत तक तेल कम करना चाहिए और स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

डब्ल्यूएचओ और आईएलओ ने की भारत की तारीफ

पीएम मोदी ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि एक समय था जब भारत में आंखों की बीमारी ट्रेकोमा बहुत आम थी और इससे लोग अंधे भी हो जाते थे। लेकिन अब वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने भारत को ट्रेकोमा-फ्री घोषित कर दिया है। ये सिर्फ बीमारी का अंत नहीं है बल्कि इसके कारणों का भी सफाया है। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन यानी ILO ने कहा है कि अब भारत में 64 प्रतिशत लोग किसी न किसी सामाजिक सुरक्षा योजना से लाभ उठा रहे हैं। 2014 से पहले यह आंकड़ा काफी कम था लेकिन अब इसमें बड़ा सुधार हुआ है। पीएम मोदी ने इसे देश के लिए गर्व की बात बताया।

इमरजेंसी को याद कर बोले PM – अभिव्यक्ति की आज़ादी कुचल दी गई थी

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने 1975 की इमरजेंसी का जिक्र करते हुए कहा कि यह देश के लोकतंत्र का सबसे काला दौर था। उस वक्त लोगों की आवाज को दबा दिया गया था। पत्रकारों को जेल में डाला गया था और आम लोगों पर अत्याचार हुए थे। लेकिन भारतीय जनता ने हार नहीं मानी। जैसे ही आपातकाल हटा, जिन्होंने इमरजेंसी थोपी थी उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। पीएम मोदी ने कहा कि हमें उन लोगों को हमेशा याद रखना चाहिए जिन्होंने इमरजेंसी का विरोध किया। यही लोग हमें हमारे संविधान की रक्षा करने की प्रेरणा देते हैं।

स्थानीय वस्त्र, महिलाएं और पर्यावरण से जुड़े प्रेरक किस्से

पीएम मोदी ने मेघालय के एरी सिल्क की भी चर्चा की जिसे हाल ही में GI टैग मिला है। उन्होंने बताया कि इस सिल्क की खासियत ये है कि इसे बनाने में रेशम के कीड़े नहीं मारे जाते। यह सर्दी में गर्म और गर्मी में ठंडक देता है। पीएम ने देशवासियों से अपील की कि एक बार इस खास रेशम को जरूर पहनें। उन्होंने कलबुर्गी रोटी बनाने वाली महिलाओं और मध्यप्रदेश की सुमन उइके जैसी महिलाओं का उदाहरण देकर बताया कि कैसे ये महिलाएं अपने छोटे प्रयासों से अपने और देश के भविष्य को बदल रही हैं। अहमदाबाद के ‘सिंदूर वन’ की बात करते हुए उन्होंने बताया कि इसे ऑपरेशन सिंदूर के वीरों को समर्पित किया गया है। वहीं पुणे के एक व्यक्ति की तारीफ की जो अपने पूरे परिवार के साथ जंगल में जाकर हर सप्ताह पौधे लगाते हैं और जलभराव के लिए गड्ढे खोदते हैं। इससे उस इलाके में पक्षी और पर्यावरण दोबारा लौट रहे हैं। अंत में उन्होंने स्पेस मिशन और शुभांशु शुक्ला जैसे युवाओं की सराहना की।

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