गौतम अडानी की अडानी ग्रुप न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर में करेगी एंट्री, यूपी सरकार से बातचीत

देश के दिग्गज उद्योगपति गौतम अडानी के नेतृत्व वाला अडानी ग्रुप अब अपने कारोबार के दायरे को और विस्तार देने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है। इंफ्रास्ट्रक्चर, एनर्जी, FMCG, लॉजिस्टिक्स, मीडिया, डिफेंस, एयरोस्पेस और माइनिंग जैसे कई अहम सेक्टरों में मजबूत मौजूदगी के बाद अडानी ग्रुप अब न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर में प्रवेश की तैयारी कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसको लेकर अडानी ग्रुप और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच बातचीत चल रही है। कंपनी का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश में 200 मेगावाट क्षमता वाले आठ स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) स्थापित करने का है। यह पहल ऐसे समय में सामने आई है, जब केंद्र सरकार जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने और स्वच्छ व टिकाऊ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है।
सही जगह की तलाश और अन्य बड़े समूहों की दिलचस्पी
हालांकि, इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को लेकर अभी कुछ चुनौतियां भी सामने आ रही हैं। बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार को अब तक नदी किनारे ऐसी उपयुक्त जगह नहीं मिल पाई है, जहां रिएक्टरों के लिए लगातार और सुरक्षित जल आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। न्यूक्लियर प्लांट के संचालन में पानी की उपलब्धता बेहद अहम होती है, क्योंकि कूलिंग सिस्टम इसके बिना संभव नहीं है। इसी बीच, अडानी ग्रुप अकेला ऐसा औद्योगिक समूह नहीं है, जो इस उभरते हुए सेक्टर में कदम रखने की योजना बना रहा है। टाटा ग्रुप, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और JSW ग्रुप जैसे देश के अन्य बड़े कॉर्पोरेट हाउस भी न्यूक्लियर एनर्जी के क्षेत्र में संभावनाएं तलाश रहे हैं। इससे साफ है कि आने वाले वर्षों में यह सेक्टर निजी निवेश के लिए एक नया आकर्षण केंद्र बनने वाला है।
PPP मॉडल पर आधारित होगा प्रोजेक्ट, सरकारी संस्थानों की अहम भूमिका
रिपोर्ट्स के अनुसार, अडानी ग्रुप का यह न्यूक्लियर प्रोजेक्ट पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर आधारित होगा। इस मॉडल के तहत, सरकारी कंपनी न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) प्रस्तावित प्लांट का संचालन करेगी, जबकि अडानी ग्रुप निवेश और अन्य सहयोगी भूमिकाएं निभाएगा। वहीं, भारत की प्रमुख वैज्ञानिक संस्था भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) फिलहाल 200 मेगावाट क्षमता वाले स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर के डिजाइन और डेवलपमेंट पर काम कर रही है। माना जा रहा है कि सभी जरूरी सरकारी मंजूरियां मिलने के बाद इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में करीब पांच से छह साल का समय लग सकता है। यह मॉडल निजी निवेश को बढ़ावा देने के साथ-साथ न्यूक्लियर एनर्जी जैसे संवेदनशील सेक्टर में सरकारी नियंत्रण और सुरक्षा मानकों को भी सुनिश्चित करेगा।
न्यूक्लियर सेक्टर में निजी निवेश से खुलेंगी नई संभावनाएं
हाल ही में संसद ने निजी कंपनियों को न्यूक्लियर इंडस्ट्री में प्रवेश की अनुमति दी है, जिससे इस सेक्टर में निवेश के नए रास्ते खुल गए हैं। मौजूदा समय में भारत में सात अलग-अलग स्थानों पर लगभग दो दर्जन न्यूक्लियर पावर प्लांट संचालित हो रहे हैं, जो देश के कुल बिजली उत्पादन में करीब 3 प्रतिशत का योगदान देते हैं। इन प्लांट्स की कुल क्षमता लगभग 8,780 मेगावाट है, जिसे बढ़ाकर 13,600 मेगावाट करने की योजना पर काम चल रहा है। लंबे समय तक सीमित दायरे में रहने वाले इस सेक्टर में अब निजी कंपनियों की एंट्री से न केवल पूंजी निवेश बढ़ेगा, बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। साथ ही, स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को भी मजबूती मिलेगी, और देश के ऊर्जा भविष्य को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद है।