मनोरंजन

सुमोना चक्रवर्ती ने एंडोमेट्रियोसिस से लड़ाई और आध्यात्मिक सफर पर प्रेरणादायक पोस्ट साझा किया

टीवी की मशहूर अभिनेत्री सुमोना चक्रवर्ती, जो द कपिल शर्मा शो के जरिए घर-घर में पहचानी जाती हैं, अपनी बेहतरीन कॉमिक टाइमिंग और दमदार अदाकारी के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने बड़े अच्छे लगते हैं जैसे लोकप्रिय शो में भी काम किया है। हाल ही में सुमोना ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए बॉडी इमेज, हेल्थ, उम्र बढ़ने और आध्यात्मिक यात्रा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने खासतौर पर अपने सफेद बालों (ग्रे हेयर) को गर्व से अपनाने, हार्मोनल बदलावों, एंडोमेट्रियोसिस जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने और मानसिक शांति की खोज में आध्यात्मिक राह पर चलने के अनुभव के बारे में खुलकर बात की।

ग्रे हेयर पर समाज की सोच को दी चुनौती

सुमोना का कहना है कि महिलाओं के सफेद बालों को लेकर समाज में अब भी नकारात्मक सोच है। अक्सर महिलाओं को सफेद बाल छुपाने या कलर करने की सलाह दी जाती है, जबकि पुरुषों के सफेद बालों को ‘सॉल्ट एंड पेपर’ लुक कहकर तारीफ की जाती है। उन्होंने इस दोहरे मापदंड पर सवाल उठाते हुए कहा कि उम्र बढ़ना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और इसे स्वीकार करना चाहिए। सुमोना खुद अपने ग्रे हेयर को गर्व से फ्लॉन्ट करती हैं और मानती हैं कि प्राकृतिक लुक को अपनाना आत्म-स्वीकृति का हिस्सा है।

बॉडी शेमिंग और एंडोमेट्रियोसिस से जंग

सुमोना ने खुलासा किया कि उनकी 20s में उन्हें उनके बॉडी टाइप के कारण ‘फ्लैट स्क्रीन’ कहकर चिढ़ाया जाता था। लेकिन अब 35 की उम्र में, हार्मोनल बदलाव और एंडोमेट्रियोसिस के चलते उनका शरीर ज्यादा कर्वी हो गया है। उन्होंने इस गंभीर बीमारी से लंबा संघर्ष किया है और आज वह मानती हैं कि महिलाओं को अपने शरीर को उसी रूप में स्वीकार करना चाहिए, जैसा वह है। उनका कहना है कि समाज के ‘परफेक्ट बॉडी’ के दबाव में आकर खुद को बदलने की जरूरत नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य और आत्म-संतोष को प्राथमिकता देनी चाहिए।

आध्यात्मिक यात्रा और मानसिक शांति की खोज

सुमोना का मानना है कि चाहे महिलाएं बालों का रंग बदलना चाहें, बोटॉक्स कराना चाहें या शादी करना चाहें — यह उनका व्यक्तिगत फैसला होना चाहिए, किसी दबाव का परिणाम नहीं। वह मानसिक और भावनात्मक शांति पाने के लिए 2011 से कई आध्यात्मिक रास्तों की खोज कर रही हैं। हाल ही में उन्होंने विपश्यना मेडिटेशन का 10 दिन का साइलेंट रिट्रीट किया, जिसमें उन्होंने पूरी तरह से लोगों से दूरी बनाकर खुद से जुड़ने की कोशिश की। उनके मुताबिक, इस अनुभव ने उन्हें न सिर्फ भीतर से मजबूत बनाया, बल्कि जीवन को देखने का नजरिया भी बदल दिया।

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