Starlink ने पूरे विश्व में 90 लाख सक्रिय यूजर्स का आंकड़ा पार किया, भारत में लॉन्च जल्द

एलोन मस्क की कंपनी SpaceX की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा Starlink को भारत में लॉन्च किए जाने का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। कंपनी जल्द ही भारत में अपनी सेवा शुरू करने की तैयारी कर रही है। लॉन्च से पहले ही, Starlink ने वैश्विक स्तर पर तेजी से यूजर बढ़त दर्ज की है। हाल ही में कंपनी ने साझा किया कि इसके सक्रिय यूजर्स की संख्या 9 मिलियन (90 लाख) से अधिक हो गई है। पिछले सात हफ्तों में कंपनी ने 1 मिलियन (10 लाख) नए यूजर्स जोड़े हैं, जो इसकी लोकप्रियता को दर्शाता है।
तेजी से बढ़ती यूजर संख्या
Starlink ने अपनी आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर जानकारी दी कि अब कंपनी के पास 9 मिलियन सक्रिय यूजर्स हैं। वर्तमान में कंपनी 155 देशों में अपनी सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा प्रदान कर रही है। नवंबर से यूजर्स की संख्या में तेजी आई है। केवल पिछले सप्ताह ही कंपनी ने 1 मिलियन नए यूजर्स जोड़ दिए। नवंबर में Starlink के पास 8 मिलियन यूजर्स थे, जिससे स्पष्ट है कि कंपनी प्रति दिन लगभग 20,000 नए कनेक्शन जोड़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार, Starlink हर चार सेकंड में एक नया कनेक्शन बेच रही है।

Starlink की तकनीक और वैश्विक पहुंच
Starlink की सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में मौजूद SpaceX के सैटेलाइट्स पर निर्भर करती है। कंपनी ने अब तक लगभग 9,000 सैटेलाइट्स लॉन्च किए हैं, जिनके माध्यम से यह सेवा पूरी दुनिया में उपलब्ध कराई जा रही है। यह सेवा उन क्षेत्रों में भी उपलब्ध है, जहाँ मोबाइल टावर लगाना या ब्रॉडबैंड लाइनें बिछाना संभव नहीं है। केवल एक एंटीना की मदद से यूजर्स सुपरफास्ट इंटरनेट का आनंद ले सकते हैं। यह तकनीक ग्रामीण और दूरदराज़ इलाकों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है।
भारत में सेवा लॉन्च की तैयारी
कंपनी ने भारत में अपनी सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा लॉन्च करने की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। Starlink देश के नौ शहरों में बेस स्टेशन्स स्थापित कर रही है। ये बेस स्टेशन्स सैटेलाइट्स को सिग्नल भेजेंगे, जिसे उपयोगकर्ता का Starlink डिवाइस प्राप्त करेगा। फिलहाल, कंपनी भारत सरकार से स्पेक्ट्रम आवंटन का इंतजार कर रही है। स्पेक्ट्रम मिलने के बाद ही Starlink अपनी सेवा लॉन्च करेगी। कंपनी को अगले 5 वर्षों के लिए आवश्यक लाइसेंस भी प्राप्त हैं। हाल ही में Starlink India की वेबसाइट पर इसके सैटेलाइट ब्रॉडबैंड योजनाओं के विवरण भी सामने आए, जिन्हें कंपनी ने तकनीकी गड़बड़ी के कारण प्रकाशित बताया।