संजय दत्त का दर्दनाक खुलासा, कैसे लॉकडाउन में कैंसर से लड़े और राकेश रोशन बने मुश्किल वक्त के सहारा

बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता संजय दत्त की जिंदगी हमेशा उतार-चढ़ाव से भरी रही है। कभी मां नरगिस दत्त को अपनी पहली फिल्म के रिलीज से ठीक पहले खोना पड़ा, तो कभी जेल की सजा भुगतनी पड़ी। इन कठिन परिस्थितियों ने उन्हें बार-बार परखा। कोरोना महामारी के दौरान भी उनकी जिंदगी में एक बड़ा तूफ़ान आया, जब पता चला कि वे फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित हैं। यह खबर सुनकर उनके चाहने वाले भी गहरे सदमे में चले गए। लेकिन संजय दत्त ने न सिर्फ इस गंभीर बीमारी से जंग लड़ी बल्कि और भी मजबूत होकर सामने आए।
लॉकडाउन में कैंसर की खबर और सदमा
संजय दत्त ने हाल ही में उस मुश्किल वक्त को याद किया जब उन्हें कैंसर होने का पता चला था। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान एक दिन जब वे सीढ़ियां चढ़ रहे थे तो अचानक सांस लेने में परेशानी होने लगी। डॉक्टर को बुलाया गया और जांच में पता चला कि उनके फेफड़ों में पानी भर गया है। शुरुआत में सबको लगा कि उन्हें टीबी है, लेकिन बाद में रिपोर्ट में साफ हो गया कि यह लंग कैंसर है। संजय दत्त बताते हैं कि जब उनकी बहन आई और उन्होंने बताया कि यह कैंसर है, तो वे लगातार 2-3 घंटे तक रोते रहे। उस समय उन्हें अपनी परिवार की चिंता सबसे ज्यादा सताने लगी।
राकेश रोशन की मदद और इलाज का सफर
कैंसर का पता चलने के बाद संजय दत्त अमेरिका जाना चाहते थे, लेकिन कोरोना काल में उन्हें वीज़ा नहीं मिल सका। ऐसे समय में निर्देशक और अभिनेता राकेश रोशन उनकी मदद के लिए आगे आए और उन्हें एक डॉक्टर से मिलवाया। डॉक्टर ने उन्हें कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों के बारे में बताया कि बाल झड़ेंगे और उल्टियां होंगी। लेकिन संजय दत्त ने हिम्मत नहीं हारी और कहा कि वे इन सबसे डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने कीमोथेरेपी शुरू की और हर सत्र के बाद खुद को फिट रखने के लिए नई दिनचर्या बनाई।
जंग जीतकर लौटे मजबूत और नए जोश के साथ
संजय दत्त ने इलाज के दौरान खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाए रखा। वे हर कीमोथेरेपी के बाद बाइक चलाते थे और नियमित रूप से बैडमिंटन कोर्ट में 2-3 घंटे खेलते थे। इस अनुशासन और आत्मविश्वास ने उन्हें बीमारी पर जीत दिलाई। आज वे पूरी तरह स्वस्थ हैं और अपने काम में फिर से सक्रिय हैं। हाल ही में वे फिल्म ‘बागी 4’ में नजर आए, जिसमें उनके साथ टाइगर श्रॉफ, हरनाज़ संधू और सोनम बाजवा भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं। संजय दत्त की यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि साहस और सकारात्मक सोच से किसी भी कठिनाई पर काबू पाया जा सकता है।