देश

दिल्ली दंगे में बड़ा खुलासा! पुलिस ने कहा– उमर खालिद की साज़िश थी ‘रेजीम चेंज’ का गेम प्लान!

दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगे मामले में उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। पुलिस का कहना है कि दिल्ली हिंसा कोई अचानक हुई घटना नहीं थी, बल्कि यह एक सोची-समझी साजिश थी, जिसका मकसद सरकार को अस्थिर करना और देश की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब करना था।
दिल्ली पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा कि उमर खालिद और उसके सहयोगियों ने योजनाबद्ध तरीके से दंगों की रूपरेखा तैयार की, जिससे देश में अराजकता फैलाई जा सके। पुलिस ने कहा कि यह पूरी साजिश “रेजीम चेंज” यानी सरकार बदलने की अंतरराष्ट्रीय मुहिम जैसी थी।
अब 31 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई करेगा। पुलिस ने अदालत से आग्रह किया है कि इतने ठोस सबूतों के बावजूद इन आरोपियों को जमानत नहीं दी जानी चाहिए।

ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान दंगे भड़काने की साजिश

दिल्ली पुलिस के अनुसार, यह पूरी साजिश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को बदनाम करने की कोशिश का हिस्सा थी। आरोपियों ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान ही दंगे भड़काने की योजना बनाई थी, ताकि विश्व समुदाय के सामने भारत की नकारात्मक छवि प्रस्तुत की जा सके।
पुलिस ने अपने हलफनामे में बताया कि आरोपियों के बीच हुई चैट्स में ट्रंप का जिक्र बार-बार आता है, जिससे स्पष्ट होता है कि हिंसा के पीछे एक वैश्विक नैरेटिव तैयार करने की कोशिश थी।
दिल्ली दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों घायल हुए थे। पुलिस का कहना है कि यह हिंसा पूर्व-नियोजित (pre-planned) थी, जिसमें अलग-अलग संगठनों और नेताओं ने मिलकर काम किया। इस पूरे षड्यंत्र का मकसद सिर्फ विरोध प्रदर्शन नहीं, बल्कि सरकार को गिराने और देश में अशांति फैलाने का प्रयास था।

दिल्ली पुलिस: यूएपीए मामलों में ‘जेल ही नियम, जमानत नहीं’

दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया कि UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत ऐसे मामलों में जेल ही नियम है, जमानत नहीं। पुलिस का दावा है कि आरोपी खुद मुकदमे की सुनवाई को जानबूझकर टाल रहे हैं, ताकि मामले में देरी हो सके।
पुलिस ने कहा कि धारा 207 CrPC के तहत अब तक 39 बार तारीखें बढ़ाई गईं, क्योंकि आरोपी समय पर केस फाइलें प्राप्त करने में देरी करते रहे। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी माना था कि मुकदमे की देरी के पीछे आरोपियों की ही भूमिका रही है।
पुलिस के मुताबिक, इस केस में करीब 900 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं, लेकिन इनमें से 100 से 150 प्रमुख गवाहों की गवाही जल्दी पूरी की जा सकती है। इस दौरान पुलिस ने यह भी दावा किया कि “दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप” नामक संगठन बनाया गया था, जो इस पूरी साजिश का केंद्र था। इसके लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया गया था, जिसके जरिए दंगों की योजना बनाई गई।

उमर खालिद की भूमिका स्पष्ट, महिलाओं और समूहों को भड़काने के आरोप

दिल्ली पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा कि उमर खालिद की भूमिका इस साजिश में पूरी तरह स्पष्ट है। पुलिस के अनुसार, उसने सीलमपुर में एक गुप्त बैठक में महिलाओं को भड़काया और उन्हें चाकू, बोतलें, एसिड, पत्थर और मिर्च पाउडर इकट्ठा करने के लिए कहा। जब स्थानीय महिलाओं ने साथ नहीं दिया, तो उसने जहांगीरपुरी से बांग्लादेशी महिलाओं को बुलाकर जाफराबाद भेजा।
पुलिस के मुताबिक, गवाहों के बयान और फोटोग्राफिक सबूत उमर खालिद की सक्रिय भूमिका को साबित करते हैं। दिसंबर 2019 से जनवरी 2020 के बीच उसने कई भाषण दिए, जिनमें भारत सरकार और संविधान को निशाना बनाते हुए लोगों को भड़काने की कोशिश की गई।
उसने अपने जामिया मिलिया और आसनसोल भाषणों में “चक्का जाम” और “सेवाओं को बाधित करने” की बात कही, जिससे दिल्ली को ठप किया जा सके। पुलिस का कहना है कि उसने कट्टर संगठनों से संपर्क बनाए रखा, जिन्होंने भड़काऊ पर्चे बांटे और भीड़ को उकसाया। उसका मकसद था दिल्ली को हिंसा का केंद्र बनाकर पूरे देश में अराजकता फैलाना।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button