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भारत के सबसे बड़े बंदरगाह DPA कांडला ने तोड़ी पिछली रिकॉर्ड, 40 जहाजों की सफल हैंडलिंग

शनिवार को भारत के समुद्री क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक दिन साबित हुआ, जब देश का सबसे बड़ा बंदरगाह, दीनेदयाल पोर्ट अथॉरिटी (DPA), कांदला ने 24 घंटे में 40 जहाजों को संभालकर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड स्थापित किया। इससे पहले दिसंबर 2023 में इस पोर्ट ने 38 जहाजों को संभालने का रिकॉर्ड बनाया था, जिसे अब उन्होंने अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ते हुए पार कर लिया। यह उपलब्धि न केवल पोर्ट की कार्यक्षमता को दर्शाती है, बल्कि भारत की समुद्री ताकत में निरंतर वृद्धि का भी प्रतीक है।

उत्कृष्ट योजना और टीमवर्क से हासिल सफलता

दीनेदयाल पोर्ट अथॉरिटी के इस नए रिकॉर्ड के पीछे कई विभागों की कड़ी मेहनत और बेहतरीन समन्वय की कहानी है। पोर्ट के समुद्री संचालन, ट्रैफिक प्रबंधन और कार्गो हैंडलिंग जैसे सभी महत्वपूर्ण कार्य बखूबी और तेजी से पूरे किए गए। इतने अधिक जहाजों के साथ भी कोई दिक्कत नहीं आई और हर जहाज को समय पर और सुरक्षित ढंग से संभाला गया। यह सफलता इस बात का सबूत है कि DPA कांदला अब सबसे बड़े जहाजों की संख्या को भी बिना किसी रुकावट के मैनेज करने में सक्षम है।

भारत के सबसे बड़े बंदरगाह DPA कांडला ने तोड़ी पिछली रिकॉर्ड, 40 जहाजों की सफल हैंडलिंग

सामाजिक मीडिया पर साझा की गई उपलब्धि

पोर्ट की आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर इस शानदार उपलब्धि को साझा करते हुए बताया गया कि DPA कांदला ने मात्र 24 घंटे में 40 जहाजों को संभालकर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया है। यह आंकड़ा पोर्ट की ऑपरेशनल क्षमता और दक्षता का प्रमाण है, जिससे देश की समुद्री उद्योग की ताकत और बढ़ेगी।

अध्यक्ष ने सभी का किया धन्यवाद

DPA कांदला के अध्यक्ष सुशील कुमार सिंह (IRSME) ने इस उपलब्धि के लिए पोर्ट के सभी शेयरधारकों, व्यापारिक उपयोगकर्ताओं, ट्रेड यूनियनों, कर्मचारियों और मेहनती कार्यकर्ताओं का विशेष धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि यह सफलता टीम DPA के परिश्रम, प्रतिबद्धता और अनुशासन का परिणाम है। विशेष रूप से उन्होंने ट्रैफिक मैनेजर, डेप्यूटी कंजर्वेटर और DPA पायलट की मेहनत की सराहना की, जिनका योगदान इस रिकॉर्ड ब्रेकिंग ऑपरेशन में अहम था।

भारत के समुद्री क्षेत्र के लिए बड़ा कदम

DPA कांदला की यह उपलब्धि भारत के समुद्री क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इससे न केवल देश की लॉजिस्टिक्स क्षमता में सुधार होगा, बल्कि भारतीय बंदरगाहों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वसनीयता और प्रतिस्पर्धा भी मजबूत होगी। यह रिकॉर्ड भारत की समुद्री ताकत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद करेगा और भविष्य में और भी बड़ी सफलताओं के द्वार खोलेगा।

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