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क्या Groww IPO बनेगा अगला बड़ा मल्टीबैगर? 6,000 करोड़ से ज्यादा का ऑफर फाइल

देश के सबसे बड़े ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म्स में से एक Groww ने 16 सितंबर को सेबी (SEBI) के पास अपने 6,000 से 7,000 करोड़ रुपये के आईपीओ के लिए आवेदन किया है। कंपनी ने अपडेटेड ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल किया है, जिसमें यह खुलासा हुआ है कि ग्रो के संस्थापक इस इश्यू के दौरान कंपनी में अपनी केवल 0.07 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने वाले हैं। बता दें कि ग्रो की स्थापना साल 2016 में हर्ष जैन, ललित केशरे, ईशान बंसल और नीरज सिंह ने की थी। चारों संस्थापक पूर्व में ई-कॉमर्स कंपनी Flipkart में काम कर चुके हैं।

प्रमोटर्स की हिस्सेदारी और आईपीओ का ढांचा

फिलहाल ग्रो के प्रमोटर्स की हिस्सेदारी करीब 27.97 प्रतिशत है। आईपीओ के दौरान यह हिस्सेदारी घटकर थोड़ी कम होगी, क्योंकि संस्थापक सिर्फ 0.07 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेंगे। कंपनी के अनुसार, 30 जून 2025 तक ग्रो के लगभग 18 करोड़ ट्रांजेक्शनल यूजर्स हैं, जो इसकी मजबूत पहुंच को दर्शाता है। इस आईपीओ में कंपनी 160 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी करेगी, जबकि प्रमोटर्स 57.42 करोड़ रुपये के शेयर ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए बेचेंगे।

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ग्रो की वित्तीय स्थिति

वित्तीय वर्ष 2026 की पहली तिमाही में ग्रो का शुद्ध लाभ 378 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की तुलना में करीब 11 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, इसी अवधि में कंपनी की आय (Revenue) 904 करोड़ रुपये रही, जबकि वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में यह 1,000 करोड़ रुपये थी। यानी राजस्व में करीब 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। बावजूद इसके, कंपनी का प्रॉफिट लगातार बढ़ रहा है, जो निवेशकों के लिए सकारात्मक संकेत है।

ग्रो का बिजनेस मॉडल और रिस्क फैक्टर

ग्रो का कारोबार केवल ब्रोकरेज सेवाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मार्जिन फंडिंग और NBFC लेंडिंग सेवाएं भी प्रदान करता है। ऐसे में आरबीआई और सेबी के नियमों में कोई भी बदलाव सीधे कंपनी के बिजनेस पर असर डाल सकता है। साथ ही, कंपनी की आय का एक बड़ा हिस्सा डेरिवेटिव्स सेगमेंट से आता है, जिसके चलते यह सेक्टर-विशिष्ट जोखिमों के प्रति संवेदनशील है। विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रो का आईपीओ निवेशकों के लिए आकर्षक हो सकता है, लेकिन इसमें जुड़े नियामकीय और बाजार से जुड़े रिस्क को ध्यान में रखना भी जरूरी होगा।

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