Supreme Court में EC का बड़ा बयान, SIR लागू होगा मतदाता, वोटर लिस्ट में कोई भी गलती नहीं होगी

चुनाव आयोग ने SIR (State Register of Voters) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। आयोग ने कोर्ट को बताया कि बिहार में SIR प्रक्रिया के सफल संचालन के बाद इसे जल्द ही पूरे देश में लागू किया जाएगा। आयोग ने अपने हलफनामे में यह स्पष्ट किया कि संविधान के तहत चुनाव आयोग को देशव्यापी SIR लागू करने का अधिकार है और इसका उद्देश्य मतदाता सूची को त्रुटिरहित बनाना है। चुनाव आयोग का कर्तव्य है कि प्रत्येक मतदाता की पहचान और सूची में शामिल होना सुनिश्चित किया जाए, जिससे मतदान प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ हो।
केवल भारतीय नागरिक कर सकते हैं मतदान
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया कि चाहे बिहार की बात हो या पूरे देश की, आधार कार्ड केवल पहचान का प्रमाण है और यह नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जा सकता। केवल भारत के नागरिकों को मतदान का अधिकार प्राप्त है। आयोग ने यह भी कहा कि SIR का उद्देश्य केवल वैध मतदाताओं की सही सूची तैयार करना है। इस प्रक्रिया के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मतदाता सूची में शामिल हर नाम वैध और प्रमाणिक हो, ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या अवैध मतदान को रोका जा सके।
बिहार के अंतिम मतदाता सूची से 3.66 लाख मतदाताओं का विवरण
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयोग से बिहार में अंतिम मतदाता सूची से 3.66 लाख मतदाताओं के बहिष्करण का विवरण प्रस्तुत करने को कहा। चुनाव आयोग ने कोर्ट को सूचित किया कि अगस्त 30 को प्रारूपिक मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद जिन नए मतदाताओं के नाम जोड़े गए थे, उनमें अधिकांश नए मतदाता थे। अब तक सूची से बहिष्कृत किसी मतदाता की ओर से कोई शिकायत या अपील दर्ज नहीं की गई है। कोर्ट की बेंच, जिसमें न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमलया बागची शामिल थे, ने यह निर्देश विपक्षी दलों जैसे राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेताओं द्वारा दायर याचिकाओं के आधार पर दिया।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश और आगे की प्रक्रिया
कोर्ट ने यह भी कहा कि चूंकि सभी को प्रारूपिक और अंतिम मतदाता सूची तक पहुँच है और अंतिम सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जा चुकी है, इसलिए आवश्यक डेटा तुलनात्मक विश्लेषण (comparative analysis) के माध्यम से प्रस्तुत किया जा सकता है। कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि बहिष्कृत मतदाताओं से जुड़ी सभी उपलब्ध जानकारी 9 अक्टूबर, 2025 तक रिकॉर्ड पर प्रस्तुत की जाए, जब सुप्रीम कोर्ट SIR प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि मतदाता सूची तैयार करते समय पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे और किसी भी मतदाता के अधिकारों का उल्लंघन न हो।