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कोयला मूल्य विवाद का अंत! सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटा, उद्योगों के लिए बड़ी राहत

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कोल इंडिया लिमिटेड की 2006 की अंतरिम कोयला नीति की वैधता को बरकरार रखा। इस नीति के तहत गैर-कोर सेक्टर उद्योगों को आपूर्ति किए जाने वाले कोयले की कीमत में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी। उच्च न्यायालय के 2012 के निर्णय को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोलकाता उच्च न्यायालय ने इस मामले में गंभीर त्रुटि की। कोल इंडिया ने उच्च न्यायालय के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

128 पृष्ठों के फैसले में न्यायाधीशों की व्याख्या

न्यायमूर्ति जे.बी. परदीवाला और आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने गलत फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति परदीवाला ने अपने 128 पृष्ठों के फैसले में लिखा कि कोयले की कीमत में 20 प्रतिशत वृद्धि का उद्देश्य केवल आपूर्ति बनाए रखना और सभी प्रकार के उपभोक्ताओं के लिए कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित करना था। यह नहीं कहा जा सकता कि गैर-कोर सेक्टर उपभोक्ताओं के लिए यह वृद्धि लाभ कमाने की प्रेरणा से की गई थी।

कोयला मूल्य विवाद का अंत! सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटा, उद्योगों के लिए बड़ी राहत

तीन प्रमुख मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में तीन प्रमुख मुद्दों पर विचार किया। पहला, क्या कोल इंडिया को अंतरिम कोयला नीति की घोषणा करने का अधिकार था। दूसरा, गैर-कोर सेक्टर उपभोक्ताओं के लिए कीमत में 20 प्रतिशत की वृद्धि संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) के तहत वैध है या नहीं। तीसरा, यदि यह वृद्धि अवैध मानी जाती, तो क्या निजी कंपनियों को अतिरिक्त 20 प्रतिशत की राशि वापस करने का अधिकार है।

कोल इंडिया के अधिकारों और मूल्य वृद्धि की वैधता

सुप्रीम कोर्ट ने पहले मुद्दे पर कहा कि कोल इंडिया के पास कीमत निर्धारित करने का अधिकार है और कोई प्रतिबंध नहीं है। दूसरे मुद्दे पर कोर्ट ने पुष्टि की कि कोर और गैर-कोर सेक्टर के बीच वर्गीकरण वैध है। न्यायालय ने यह भी कहा कि गैर-कोर सेक्टर उपभोक्ताओं के लिए कीमत में 20 प्रतिशत वृद्धि लाभकारी उद्देश्य से नहीं बल्कि आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए की गई थी।

रिफंड की मांग खारिज

तीसरे मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि अंतरिम कोयला नीति को अवैध माना जाता, तब भी कोर्ट निजी कंपनियों को अतिरिक्त 20 प्रतिशत की राशि लौटाने का आदेश नहीं देती। इस निर्णय से यह साफ हुआ कि कोल इंडिया की अंतरिम नीति कानूनी और संवैधानिक दृष्टि से सही थी और उद्योगों के हितों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई थी।

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