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चीन के राजदूत का बड़ा बयान: भारत-चीन को मिलकर ट्रंप सरकार की 50% टैरिफ वार का देना होगा जवाब

चीन के राजदूत सू फीहोंग ने कहा है कि भारत और चीन को अमेरिका की अनुचित टैरिफ नीति का मिलकर सामना करना चाहिए। उनका कहना है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाया गया 50 प्रतिशत टैरिफ न केवल गलत है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार के सिद्धांतों के भी खिलाफ है। राजदूत ने यह बात नई दिल्ली में चीन की जापान पर विजय की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कही। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत-चीन संबंध किसी तीसरे देश (पाकिस्तान) से प्रभावित नहीं हुए हैं और दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर महत्वपूर्ण सहमति बनी है।

अमेरिका पर चीन का सीधा निशाना

राजदूत सू फीहोंग ने अमेरिका की नीति की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिका टैरिफ को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा, “व्यापार से सभी को लाभ होना चाहिए, लेकिन अमेरिका अब भारत पर 50 प्रतिशत तक का शुल्क लगा रहा है, जो पूरी तरह से अनुचित है।” उन्होंने भारत और चीन से अपील की कि इस चुनौती का संयुक्त रूप से सामना किया जाए। राजदूत ने कहा कि भारत और चीन की कुल आबादी लगभग 2.8 अरब है, दोनों की अर्थव्यवस्थाएं और बाजार बेहद बड़े हैं और एक-दूसरे को पूरक करते हैं। ऐसे में दोनों देशों को आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को और मज़बूत करना चाहिए।

चीन के राजदूत का बड़ा बयान: भारत-चीन को मिलकर ट्रंप सरकार की 50% टैरिफ वार का देना होगा जवाब

मोदी-जिनपिंग बैठक और आतंकवाद पर चर्चा

कार्यक्रम के दौरान चीनी राजदूत ने SCO शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शी ने इस बैठक में कहा था कि भारत और चीन दोनों बड़ी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं और हमें विकास पर ध्यान देना चाहिए तथा एक-दूसरे का समर्थन करना चाहिए। पीएम मोदी ने भी माना था कि भारत-चीन सहयोग से 21वीं सदी को वास्तविक अर्थों में एशियाई सदी बनाया जा सकता है। आतंकवाद के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि भारत और चीन दोनों इससे प्रभावित हुए हैं। उन्होंने दोहराया कि चीन हर तरह के आतंकवाद के खिलाफ है और भारत के साथ मिलकर क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए काम करने को तैयार है।

विकास और सहयोग पर दिया जोर

राजदूत सू फीहोंग ने कहा कि भारत और चीन वर्तमान समय में एक महत्वपूर्ण विकास चरण से गुजर रहे हैं। ऐसे में दोनों देशों को अपने संसाधनों का उपयोग राष्ट्रीय विकास के लिए करना चाहिए। उन्होंने कहा, “आइए हम एक-दूसरे का समर्थन करें, साथ-साथ प्रगति करें और सफलता में मददगार बनें।” उन्होंने भारतीय कंपनियों के लिए चीन में निवेश और अपने उत्पादों को बढ़ावा देने का निमंत्रण दिया। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत में भी चीनी कंपनियों के लिए निष्पक्ष और भेदभाव रहित व्यापारिक माहौल उपलब्ध होगा। इस तरह, चीन का मानना है कि परस्पर सहयोग न केवल दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को मज़बूत करेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था में भी संतुलन लाएगा।

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