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BJP ने शुरू किए वर्कशॉप, हटाए गए वोटों को सही करने और विपक्ष की चाल रोकने की तैयारी

उत्तर प्रदेश में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बाद बड़े शहरों में मतदाताओं की संख्या में हुई भारी कटौती ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। SIR के बाद अंतिम मतदाता सूची 31 दिसंबर को जारी की जाएगी, लेकिन सूत्रों के अनुसार राज्य में लगभग 2.89 करोड़ मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी मतदाताओं के नाम हटाए जाने को लेकर पहले ही अपनी चिंता व्यक्त की है।

कहीं अधिक तो कहीं कम कटौती

सबसे अधिक वोट कटौती वाले शीर्ष जिलों में लखनऊ, प्रयागराज, कानपुर, आगरा, गाजियाबाद, बरेली, मेरठ और गोरखपुर शामिल हैं। ये बड़े शहर भाजपा के मजबूत गढ़ माने जाते हैं। इन सात जिलों में कुल 61 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें से 47 भाजपा के पास हैं और दो उसके सहयोगी दलों के पास हैं। लखनऊ में 40 लाख मतदाता होने के बावजूद केवल 28 लाख SIR फॉर्म भरे गए, यानी यहां 12 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए। इसी तरह प्रयागराज में 11.56 लाख, कानपुर में 9.02 लाख, आगरा में 8.36 लाख, गाजियाबाद में 8.18 लाख, बरेली में 7.14 लाख, मेरठ में 6.65 लाख, गोरखपुर में 6.45 लाख और सीतापुर में 6.23 लाख वोट हटाए गए हैं।

BJP की कार्यशालाएं और रणनीति

BJP ने सुनिश्चित करने के लिए कि अधिक से अधिक लोग मतदाता सूची में शामिल हों, अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए कार्यशालाओं का आयोजन शुरू कर दिया है। आज लखनऊ में एक कार्यशाला आयोजित की गई है। इसमें कार्यकर्ताओं को बताया गया कि SIR प्रक्रिया के दौरान कई जगहों पर भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं की लापरवाही के कारण मतदाता सूची में गड़बड़ियां हुई हैं। कई जगहों पर बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) ने गलती की और यदि घर बंद मिला तो निवासियों को अनुपस्थित अंकित किया गया। वहीं विपक्षी दल अपने समर्थकों को सूची में दर्ज कराने में सफल रहे। कार्यशाला में यह भी बताया गया कि 31 दिसंबर को जारी होने वाला ड्राफ्ट रोल बूथ अध्यक्ष और 5-6 कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर पूरी तरह से जांचा जाना चाहिए। इसके अलावा, विपक्ष द्वारा गलत तरीके से जोड़े गए मतदाताओं को हटाने के लिए फॉर्म 7 भरने की प्रक्रिया को लागू किया जाएगा।

भाजपा के गढ़ों में रणनीतिक महत्व

लखनऊ में नौ विधानसभा सीटें हैं, जिनमें सात भाजपा के पास हैं। प्रयागराज में 12 सीटों में से आठ भाजपा के पास हैं। आगरा और गोरखपुर में सभी नौ-नौ विधानसभा सीटें भाजपा के पास हैं। गाजियाबाद में पांचों सीटें भाजपा के पास हैं। मेरठ में सात सीटों में से तीन भाजपा और एक RLD के पास है। बरेली में नौ सीटों में से सात भाजपा के पास हैं। इस तरह कटौती ने भाजपा के गढ़ों में संभावित राजनीतिक दबाव बढ़ा दिया है और पार्टी कार्यकर्ता अब मतदाता सूची की समीक्षा और सुधार पर विशेष ध्यान दे रहे हैं ताकि विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता आंकड़ों में संतुलन बनाए रखा जा सके।

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