Trump Tariffs: भारत पर 50% टैरिफ और रूस से तेल खरीदने पर पेनल्टी, अमेरिकी सांसदों ने कहा यह रिश्तों को खतरा

Trump Tariffs: अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत का भारी टैरिफ लागू किया है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है। इस 50 प्रतिशत में 25 प्रतिशत मूल टैरिफ है, जबकि शेष 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क रूस से तेल खरीदने पर जुर्माना के रूप में लगाया गया है। इस कदम को लेकर भारत-यूएस संबंधों में खटास पैदा हुई है। उल्लेखनीय है कि अब अमेरिका की संसद में भी इस कदम के खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं। कई सांसदों ने इस कदम को भारत और अमेरिका के महत्वपूर्ण रिश्तों के लिए खतरा बताया है।
ट्रंप के खिलाफ अमेरिकी संसद में विरोध
अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स की फॉरेन अफेयर्स कमेटी के प्रमुख डेमोक्रेट सदस्य ग्रेगरी मिक्स ने बुधवार को वॉशिंगटन में भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा से मुलाकात की। मिक्स ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए “मनमाने टैरिफ” दोनों देशों के साझेदारी को गंभीर खतरे में डाल रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह सही नहीं होगा कि पिछले 25 वर्षों में गहरे हुए क्वाड जैसे सहयोग और रिश्तों को दोनों देश नुकसान पहुंचाएं। मिक्स ने यह भी दोहराया कि अमेरिका-भारत संबंधों को मजबूत करना कांग्रेस की प्राथमिकता है।
भारत का जवाब और आगे की रणनीति
भारतीय राजदूत क्वात्रा ने मिक्स के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उनकी सतत परामर्श और समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि बातचीत का मुख्य फोकस व्यापार, ऊर्जा, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और आपसी हितों के व्यापक मुद्दों पर था। इसके अलावा, क्वात्रा ने कांग्रेस के एनर्जी एक्सपोर्ट कॉकेस की चेयरमैन कैरोल मिलर से भी मुलाकात की और भारत की ऊर्जा सुरक्षा और व्यापार नीति की जानकारी साझा की। उनका उद्देश्य अमेरिका के विधायकों के साथ लगातार संवाद करके स्थिति स्पष्ट करना और संबंधों को सामान्य करना है।
टैरिफ से भारत-यूएस संबंधों पर असर
ट्रंप द्वारा लगाए गए कुल 50 प्रतिशत टैरिफ, जिसमें रूस से तेल पर 25 प्रतिशत का जुर्माना भी शामिल है, ने भारत-यूएस संबंधों में एक नया मोड़ दिया है। हालांकि, भारत का कहना है कि उसके ऊर्जा खरीद निर्णय पूरी तरह राष्ट्रीय हित और बाजार की वास्तविकताओं पर आधारित हैं। इस बीच, राजदूत क्वात्रा लगातार अमेरिकी सांसदों से मिलकर स्थिति को स्पष्ट कर रहे हैं ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार और ऊर्जा सहयोग सामान्य रूप से चल सके और भविष्य में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती मिल सके।