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SIP निवेश में सफलता के लिए समय, बढ़ती राशि और सही फंड चयन बेहद जरूरी, जानें पूरी रणनीति

अधिकतर लोग रिटायरमेंट के लिए तैयारी नहीं करते। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे करियर की शुरुआत में कम सैलरी, अधिक काम का दबाव या निवेश की जानकारी का अभाव। निवेश विशेषज्ञ कहते हैं कि निवेश में सबसे महत्वपूर्ण चीज शुरू करना है और उसके बाद धैर्य रखना। यही दो बातें सफलता की कुंजी हैं। प्रसिद्ध निवेशक वॉरेन बफेट भी कहते हैं कि केवल समय और धैर्य ही कम्पाउंडिंग का जादू कर सकते हैं और असली संपत्ति बना सकते हैं।

कम्पाउंडिंग का सबसे आसान तरीका

अगर आप नियमित रूप से छोटे-छोटे निवेश करने की आदत डाल लें, तो म्यूचुअल फंड की SIP के जरिए एक बड़ा रिटायरमेंट फंड बनाया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, स्टेप-अप SIP से 50 साल की उम्र तक 5 करोड़ रुपये से अधिक का कॉर्पस तैयार किया जा सकता है। छोटे निवेश की शक्ति समय के साथ बढ़ती है और यह रिटायरमेंट के समय वित्तीय स्वतंत्रता दिलाती है।

SIP निवेश में सफलता के लिए समय, बढ़ती राशि और सही फंड चयन बेहद जरूरी, जानें पूरी रणनीति

कब और कितनी राशि निवेश करें

मान लीजिए कोई व्यक्ति 22 साल की उम्र में नौकरी शुरू करता है। शुरुआती 3 साल खर्च और जीवनशैली संभालने के बाद वह 25 साल की उम्र में ₹10,000 प्रति माह की SIP शुरू करता है। हर साल इस SIP को 10% बढ़ाया जाता है। इस स्टेप-अप से लंबी अवधि में कम्पाउंडिंग की शक्ति और बढ़ जाती है। इससे निवेश कम होने के बावजूद लंबी अवधि में बड़ा रिटर्न मिलता है।

अनुमानित रिटर्न और गणना

यदि SIP को 25 साल (25 से 50 वर्ष) तक जारी रखा जाए और 15% वार्षिक औसत रिटर्न मान लिया जाए, तो परिणाम इस प्रकार होंगे:

  • कुल निवेश: लगभग ₹1.18 करोड़

  • अनुमानित रिटर्न: लगभग ₹4.54 करोड़

  • 25 साल के बाद कुल कॉर्पस: लगभग ₹5.72 करोड़
    इसका मतलब है कि केवल ₹10,000 मासिक निवेश से आप 50 साल की उम्र में बिना तनाव के रिटायर हो सकते हैं।

SIP की कम्पाउंडिंग शक्ति और सावधानी

कम्पाउंडिंग का मतलब है कि हर साल मिलने वाला रिटर्न आपके मूल निवेश में जुड़ता है और अगले साल उस पर भी ब्याज मिलता है। यह प्रक्रिया लंबे समय में छोटे निवेश को बड़े कॉर्पस में बदल देती है। अल्बर्ट आइंस्टीन ने इसे दुनिया का आठवां आश्चर्य कहा। SIP में रु-कॉस्ट एवरेजिंग भी होती है, जिससे बाजार उतार-चढ़ाव के बावजूद लंबे समय में अच्छे रिटर्न मिलते हैं। ध्यान रहे कि पिछले रिटर्न भविष्य की गारंटी नहीं हैं। निवेश से पहले सही फंड का चयन, विविधीकरण और जोखिम प्रोफाइल समझना जरूरी है।

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