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रेड फोर्ट धमाके की जांच में तीन अहम पहलू, क्या है आतंकियों का असली मकसद?

सोमवार शाम दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट ने राजधानी को हिला कर रख दिया। इस विस्फोट में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है और 20 से अधिक घायल अस्पताल में भर्ती हैं, जिनमें कई की हालत गंभीर बताई जा रही है। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां इस मामले की गहनता से जांच कर रही हैं। जांच अब तीन मुख्य सवालों पर केंद्रित हो गई है, जो इस हमले की पूरी साजिश को समझने में मदद करेंगे।

पहला रहस्य: तीन घंटे का काला फासला

डॉक्टर उमर ने उस ब्लास्ट वाली कार को लाल किले के पार्किंग में करीब तीन घंटे तक खड़ा रखा था। पुलिस जांच का सबसे बड़ा सवाल यह है कि वो तीन घंटे उमर कहां थे? क्या वे पार्किंग में बैठे थे, या किसी से मिल रहे थे, या इलाके का जायजा ले रहे थे? इस दौरान क्या वे किसी संदेश का इंतजार कर रहे थे? यह जानना जरूरी है कि उमर को पता था कि उनके साथी पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं और पुलिस उनके पीछे है। ऐसे में तीन घंटे तक एक हाई सिक्योरिटी एरिया में रहना खतरनाक था। क्या यह इंतजार किसी स्लीपर सेल या लॉजिस्टिक सपोर्ट का था? यह सवाल अभी अनुत्तरित हैं।

रेड फोर्ट धमाके की जांच में तीन अहम पहलू, क्या है आतंकियों का असली मकसद?

दूसरा रहस्य: अल फलाह यूनिवर्सिटी के तीन डॉक्टर और नेटवर्क

जांच में सामने आया है कि फरिदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी के तीन डॉक्टरों के नाम इस मामले से जुड़े हैं। यह जानना भी जरूरी है कि इस नेटवर्क में और कितने सक्रिय या निष्क्रिय सदस्य यानी स्लीपर सेल सक्रिय थे। इतनी बड़ी मात्रा में हथियार और विस्फोटक कहां से आए? क्या ये अलग-अलग कंसाइनमेंट में आए थे? विस्फोटक और हथियार किस-किस ने पहुंचाए? इन संदिग्धों का टेलीग्राम ग्रुप कौन-सा था और यह कब से सक्रिय था? क्या उमर, मुजम्मिल या आदिल ने खुद दिल्ली का रेक्की किया या किसी और ने? ये सारे पहलू जांच की दिशा तय करेंगे।

तीसरा रहस्य: विस्फोट में क्यों नहीं मिले ब्लंट ऑब्जेक्ट्स?

दिल्ली में अब तक हुए कई धमाकों में विस्फोटक के साथ नाखून, बॉल बेयरिंग्स, तेज ब्लेड जैसे ब्लंट ऑब्जेक्ट्स का इस्तेमाल होता था ताकि विस्फोट का प्रभाव व्यापक हो। लेकिन इस ब्लास्ट में पुलिस को किसी भी तरह के ब्लंट ऑब्जेक्ट नहीं मिले। फिर भी विस्फोट का प्रभाव बेहद शक्तिशाली था। सड़क पर कोई क्रेटर नहीं बना जबकि गाड़ियों को भारी नुकसान हुआ। यह सवाल भी जांच के लिए चुनौती है कि बिना ब्लंट ऑब्जेक्ट्स के इतना बड़ा विस्फोट कैसे संभव हुआ।

जांच में जुटी विभिन्न एजेंसियां और भविष्य की राह

दिल्ली पुलिस, एनएसजी, फॉरेंसिक और खुफिया एजेंसियां इस ब्लास्ट की तह तक पहुंचने के लिए लगातार काम कर रही हैं। हर सुराग की जांच हो रही है ताकि हमले के मास्टरमाइंड्स और उनके साथियों का पता लगाया जा सके। देश की सुरक्षा के लिए यह बेहद जरूरी है कि इस साजिश के सभी पहलुओं को खुलासा किया जाए। जांच का अगला चरण इन तीन मुख्य सवालों के जवाब ढूंढ़ने पर केंद्रित रहेगा।

निष्कर्ष: सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की जरूरत

लाल किले जैसे संवेदनशील स्थान पर इतने लंबे समय तक संदिग्ध वाहन का रहना बड़ी सुरक्षा चूक को दर्शाता है। यह घटना देश की सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर समीक्षा की मांग करती है। उम्मीद है कि जांच के बाद न केवल दोषियों को सजा मिलेगी, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। जनता की सुरक्षा और देश की शांति बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।

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