टेस्ला की तकनीक पर उठे सवाल, ऑटोपायलट ने नहीं बचाई जान, कोर्ट ने सुनाया करारा फैसला

एलन मस्क की टेस्ला कंपनी दुनियाभर में अपनी एडवांस तकनीक के लिए जानी जाती है। खास बात यह है कि टेस्ला की कारें ऑटोपायलट मोड में भी चल सकती हैं। यानी कार खुद चलती है और ड्राइवर की जरूरत नहीं होती। लेकिन इसी तकनीक की वजह से अब टेस्ला एक बड़े विवाद में फंस गई है। साल 2019 में अमेरिका के फ्लोरिडा में एक भयानक हादसा हुआ था जिसमें टेस्ला की ऑटोपायलट मोड पर चल रही कार ने एक कपल को टक्कर मार दी थी। इस हादसे में 22 साल की लड़की की मौत हो गई और उसका बॉयफ्रेंड गंभीर रूप से घायल हो गया।
कोर्ट का बड़ा फैसला और भारी जुर्माना
इस मामले को लेकर अमेरिका के मियामी की एक फेडरल ज्यूरी ने टेस्ला कंपनी के खिलाफ बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कंपनी को 329 मिलियन डॉलर यानी करीब 2,869 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। इसमें से 129 मिलियन डॉलर क्षतिपूर्ति के रूप में और 200 मिलियन डॉलर सजा के रूप में चुकाने होंगे। कोर्ट का मानना है कि टेस्ला की ऑटोपायलट तकनीक हादसे को रोकने में असफल रही और इससे कंपनी की लापरवाही साफ जाहिर होती है। अब इस फैसले से यह साफ हो गया है कि कोर्ट ऐसी तकनीकों से जुड़े हादसों को गंभीरता से ले रही है।
कैसे हुआ हादसा और किसकी थी गलती
यह मामला अमेरिका के की-लार्गो शहर का है। वहां एक रात दो युवा कपल सड़क किनारे खड़े होकर तारों को देख रहे थे। तभी वहां से गुजर रही एक टेस्ला मॉडल 3 कार ने उन्हें टक्कर मार दी। इस टक्कर में लड़की नाइबेल बेनाविदेस लियोन की मौत हो गई और उसका बॉयफ्रेंड डिलन एंगुलो बुरी तरह घायल हो गया। कार चला रहे व्यक्ति ने कोर्ट में स्वीकार किया कि वह अपने फोन में व्यस्त था। हालांकि, कोर्ट ने यह भी माना कि अगर टेस्ला की ऑटोपायलट तकनीक सही तरीके से काम करती तो यह हादसा रोका जा सकता था।
टेस्ला पर सबूत छिपाने का आरोप और सफाई
पीड़ित पक्ष के वकीलों ने टेस्ला पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि टेस्ला ने हादसे से ठीक पहले के वीडियो और डेटा को छिपा लिया या मिटा दिया। टेस्ला ने अदालत में कई बार कहा कि उनके पास ऐसा कोई वीडियो मौजूद नहीं है। लेकिन बाद में पीड़ित पक्ष द्वारा नियुक्त एक फॉरेंसिक विशेषज्ञ ने वह डेटा खोज निकाला जिसे टेस्ला ने खो जाने का दावा किया था। इससे यह बात सामने आई कि टेस्ला के पास हादसे से जुड़ा अहम डेटा पहले से मौजूद था। जब यह बात सामने आई तो कंपनी ने सफाई दी कि यह सिर्फ एक ईमानदार गलती थी। हालांकि, कोर्ट ने टेस्ला की दलीलों को गंभीरता से नहीं लिया और कंपनी को दोषी ठहराया।