सेबी का नया नियम: ब्लॉक डील के नियम और सख्त, अब ₹25 करोड़ होगा न्यूनतम ऑर्डर साइज

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने ब्लॉक डील से जुड़े नियमों को और कड़ा कर दिया है। अब ब्लॉक डील के लिए न्यूनतम ऑर्डर साइज ₹10 करोड़ से बढ़ाकर ₹25 करोड़ कर दिया गया है। सेबी ने यह निर्णय बाजार की बढ़ती गहराई और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लिया है। साथ ही, सेबी ने नॉन-डेरिवेटिव शेयरों के लिए प्राइस रेंज को 3% तक बढ़ाने की अनुमति दी है, जबकि फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) वाले शेयरों के लिए यह सीमा अभी भी 1% ही रहेगी। सीएनबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, सेबी ने ब्लॉक डील के फ्लोर प्राइस में भी बदलाव किया है, जो पिछले दिन के क्लोजिंग प्राइस से 3% ऊपर या नीचे तक जा सकता है।
क्यों बढ़ाया गया ब्लॉक डील का साइज?
सेबी ने बुधवार को जारी सर्कुलर में बताया कि जैसे-जैसे शेयर बाजार का आकार बढ़ रहा है, वैसे-वैसे ब्लॉक डील की न्यूनतम सीमा भी बढ़नी चाहिए। इस कदम का उद्देश्य सट्टेबाजी पर रोक लगाना, बाजार में पारदर्शिता बढ़ाना और बड़ी डील्स के जरिए कीमतों में हेरफेर की संभावनाओं को कम करना है। इसके अलावा, यह कदम बड़े संस्थागत निवेशकों और उच्च मूल्य वाले सौदों को प्रोत्साहित करेगा, जिससे बाजार में तरलता (liquidity) में वृद्धि होगी। ब्लॉक डील्स का मतलब है कि बड़ी मात्रा में शेयरों की खरीद या बिक्री एक ही लेनदेन में की जाती है, जो आमतौर पर बड़े निवेशकों के बीच होती है।

ब्लॉक डील के लिए दो समय स्लॉट तय
सेबी ने ब्लॉक डील्स के लिए दो अलग-अलग विंडो तय की हैं। पहली विंडो सुबह 8:45 बजे से 9:00 बजे तक रहेगी, जहां फ्लोर प्राइस पिछले दिन के क्लोजिंग प्राइस पर आधारित होगा। वहीं दूसरी विंडो 2:05 बजे से 2:20 बजे तक खुलेगी, जहां प्राइस निर्धारण के लिए 1:45 बजे से 2:00 बजे तक के कैश सेगमेंट में हुए ट्रेडिंग वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) का उपयोग किया जाएगा। स्टॉक एक्सचेंज इस VWAP जानकारी को 2:00 बजे से 2:05 बजे के बीच साझा करेंगे, ताकि निवेशकों को पारदर्शिता के साथ ट्रेड करने का मौका मिल सके।
म्यूचुअल फंड पर भी सेबी का बड़ा फैसला
निवेशकों के हितों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, सेबी ने म्यूचुअल फंड कंपनियों द्वारा लिए जाने वाले ब्रोकरेज और ट्रांजैक्शन फीस पर भी सीमा तय करने का प्रस्ताव दिया है। अब फंड हाउस कुल खर्च अनुपात (Total Expense Ratio) से अधिक शुल्क नहीं वसूल सकेंगे। इससे निवेशकों पर अतिरिक्त भार कम होगा। हालांकि, म्यूचुअल फंड कंपनियां इस फैसले से नाराज़ हैं, क्योंकि इससे उनके मुनाफे पर असर पड़ सकता है। सेबी ने कुल खर्च अनुपात की सीमा भी घटाई है — कैश मार्केट के लिए इसे 0.12% से घटाकर 0.2%, और फ्यूचर्स सेगमेंट के लिए 0.05% से घटाकर 0.01% कर दिया गया है। सेबी का यह कदम भारतीय शेयर बाजार में पारदर्शिता और निवेशक संरक्षण को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है।
