RSS प्रमुख Mohan Bhagwat ने कहा, विदेशी शिक्षा से बाहर निकलो और भारतीय ज्ञान परंपरा को अपनाओ, Arya Yug लॉन्च पर

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने मुंबई में पुस्तक “आर्य युग” के लॉन्च के अवसर पर कहा कि भारतीयों को अपने सोच और शिक्षा को विदेशी प्रभावों से मुक्त करना चाहिए और भारतीय ज्ञान परंपरा को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम सभी मैकाले प्रणाली के अधीन पढ़े, जिसने हमारी सोच को विदेशी बना दिया। भागवत ने जोर देकर कहा कि जब तक हम मानसिक गुलामी से पूरी तरह मुक्त नहीं होंगे, तब तक हम अपनी पारंपरिक ज्ञान प्रणाली के मूल महत्व को नहीं समझ पाएंगे। उनका कहना था कि प्राचीन भारत में शिक्षा राष्ट्र और मानव कल्याण पर आधारित थी, जबकि वर्तमान शिक्षा केवल भौतिक सफलता तक सीमित है।
प्राचीन संस्कृति और ज्ञान पर प्रकाश
भागवत ने आधुनिक विज्ञान का उदाहरण देते हुए कहा कि केवल इंद्रियों से दिखाई देने वाली दुनिया वास्तविक सत्य नहीं है। इसे समझने के लिए मन के परे जाकर आध्यात्मिक चेतना अपनानी होगी। उन्होंने कहा कि भारत के प्राचीन ऋषि और ज्ञानी मेक्सिको से साइबेरिया तक यात्रा करके विज्ञान, संस्कृति और आध्यात्मिक ज्ञान फैलाते थे, लेकिन कभी किसी देश पर विजय नहीं प्राप्त की और न ही किसी पर जबरन धर्मांतरण कराया। भागवत ने कहा, “हमारी परंपरा सौहार्द और एकता का संदेश देती है। हमने दुनिया को जोड़ने का काम किया, विभाजित करने का नहीं।” उन्होंने यह भी कहा कि इतिहास में कई आक्रमणकारियों ने भारत को लूटा और गुलाम बनाया, लेकिन सबसे बड़ा नुकसान तब हुआ जब भारतीयों की मानसिकता और आत्मविश्वास को गुलाम बनाया गया।

मैकाले ज्ञान प्रणाली का प्रभाव
भागवत ने इस मानसिक गुलामी की जड़ को मैकाले शिक्षा प्रणाली बताया। यह प्रणाली ब्रिटिश शासन के दौरान 1835 में भारत में लागू की गई थी, जिसका उद्देश्य था भारतीयों को उनकी संस्कृति और ज्ञान से दूर करना और ब्रिटिश सोच अपनाना। उन्होंने बताया कि 1800 के दशक में ब्रिटिश अधिकारी थॉमस बैबिंगटन मैकाले ने एक रिपोर्ट तैयार की थी जिसमें उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृत, फारसी और गुरुकुल प्रणाली की शिक्षा नगण्य है। इसके बाद इंग्लिश एजुकेशन एक्ट 1835 के तहत स्कूल और कॉलेज खोले गए और अंग्रेजी को मुख्य भाषा बनाया गया।
भारतीय शिक्षा प्रणाली पर असर और सामाजिक असमानता
भागवत ने कहा कि इस प्रणाली ने भारतीय भाषाओं और पारंपरिक ज्ञान को हाशिए पर रखा, जिससे कई पीढ़ियां अपनी जड़ों और संस्कृति से कट गईं। अंग्रेजी पर जोर केवल संपन्न वर्ग को लाभ पहुंचाता था, जबकि गरीब और ग्रामीण बच्चों को शिक्षा से वंचित रखा गया। इसके चलते समाज में असमानता बढ़ी। मैकाले शिक्षा प्रणाली में रचनात्मकता और गहराई के बजाय केवल रटने और नौकरी-केंद्रित शिक्षा को बढ़ावा दिया गया, जिससे छात्रों की समग्र
