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मामा की मौत के बाद भी मुशीर का जबरदस्त शतक, रोहित शर्मा ने मैदान पर बैठकर दिया भावुक समर्थन

मुषीर खान के लिए यह मैच सिर्फ क्रिकेट नहीं था बल्कि अपने भीतर चल रही जंग पर जीत हासिल करने का मौका था। मामा की मौत की खबर मैच से ठीक पहले मिली और इस दुख ने उनके दिल को झकझोर दिया। फिर भी मुषीर ने खुद को संभाला। उन्होंने फैसला किया कि वह मैच छोड़ेंगे नहीं। वह जानते थे कि उनके मामा हमेशा चाहते थे कि वह क्रिकेट में नाम कमाएं। इस सोच ने उन्हें दर्द के बीच भी मजबूती दी। मुषीर मैदान पर उतरे और हर गेंद के साथ अपना दुख अंदर ही अंदर दबाते रहे।

मुंबई की खराब शुरुआत और मुषीर की हिम्मत

मुंबई की टीम ने मैच की शुरुआत उम्मीद के मुताबिक नहीं की। मानेजर, रहाणे और सरफराज खान जैसे बड़े बल्लेबाज सिर्फ 73 रन पर पवेलियन लौट गए। सरफराज खुद गहरे सदमे में थे इसलिए सिर्फ 16 रन ही बना सके। टीम मुश्किल में थी और माहौल बेहद भारी था। ऐसे में मुषीर खान पर जिम्मेदारी और भी बढ़ गई। उन्होंने शुरुआत में बेहद संयम से खेला और धीरे धीरे अपनी लय पकड़ी। हर रन के साथ वह खुद को मजबूत करते गए और टीम को संकट से बाहर निकालने की कोशिश करते रहे।

शतक और यादों से भरी आंखें

162 गेंदों में 14 शानदार चौकों के साथ मुषीर खान ने 112 रन की शतकीय पारी खेली। यह सिर्फ रन नहीं थे बल्कि उनका जज्बा था। हर चौके के साथ वह अपने मामा की याद के और करीब पहुंचते जा रहे थे। शतक पूरा होते ही उनकी आंखें नम हो गईं। उन्होंने कहा कि यह शतक उनके लिए खास है क्योंकि वह इसे अपने मामा को समर्पित करते हैं। उन्होंने बताया कि बचपन में वह मामा की गोद में खेला करते थे और उनकी अनगिनत यादें उनके साथ चलती रहती हैं।

सिद्धेश लाड के साथ शतकीय साझेदारी

इस पारी का एक और खास पहलू था सिद्धेश लाड के साथ उनकी शतकीय साझेदारी। दोनों ने मिलकर पांचवें विकेट के लिए महत्वपूर्ण रन जोड़े और मुंबई को एक मजबूत स्थिति में पहुंचाया। टीम जब मुश्किल में थी तब इस साझेदारी ने भरोसा जगाया। मुषीर ने न सिर्फ खुद को संभाला बल्कि टीम को भी संभाला।

रोहित शर्मा का साथ और मिला मनोबल

8 नवंबर को भारतीय कप्तान रोहित शर्मा भी बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स पहुंचे जहां यह मैच खेला जा रहा था। यह वही मैदान है जहां रोहित अक्सर अभ्यास करते हैं। उस दिन वह सिर्फ मुंबई को सपोर्ट करने आए थे। मुषीर के लिए यह बेहद प्रेरणादायक था क्योंकि जब आप अपने स्टेट मैच में किसी बड़े खिलाड़ी को अपनी पारी देखता हुआ पाते हैं तो हौसला और बढ़ जाता है। शायद इसी उपस्थिति ने उनके मन में नई ऊर्जा भरी और उन्होंने खुद को दृढ़ रखकर यह शानदार पारी खेली।

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