RBI के MPC बैठक से पहले बाजार में उम्मीदों का माहौल, आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति पर बड़ा अपडेट

देश की अर्थव्यवस्था फिर से तेजी से प्रगति कर रही है। शुक्रवार को होने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक को लेकर बाजार में काफी उम्मीदें हैं। हाल ही में आए कई महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़ों और रिपोर्टों ने रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की नीतियों में बड़े बदलाव की संभावना को बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार आरबीआई विकास दर के अनुमान बढ़ा सकता है और मुद्रास्फीति की दर को कम कर सकता है। सितंबर तिमाही की जीडीपी वृद्धि उम्मीद से बेहतर रही और मुद्रास्फीति में भी तेज गिरावट देखने को मिली है।
आरबीआई की बदलती हुई रणनीति
पिछले कुछ महीनों से आरबीआई लगातार अपनी मुद्रास्फीति के अनुमान को कम कर रहा है। फरवरी में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 4.2% था, जो अक्टूबर में घटकर 2.6% रह गया। अब ऐसा लग रहा है कि यह और भी नीचे जाकर लगभग 1.8% से 2% के बीच आ जाएगा। आरबीआई की डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता ने भी कहा है कि भारत में मुद्रास्फीति का अनुमान लगाना चुनौतीपूर्ण है क्योंकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में खाद्य पदार्थों का वजन ज्यादा है और इनके दाम बहुत तेजी से बदलते रहते हैं।

मुद्रास्फीति में गिरावट के कारण
अक्टूबर में CPI मुद्रास्फीति मात्र 0.25% रही, जो वर्तमान सीरीज में सबसे कम है। इसके पीछे दो मुख्य कारण हैं—सब्जियों की कीमतों में नौ महीने से लगातार गिरावट और वस्तु एवं सेवा कर (GST) में कटौती, जिसने रोजमर्रा की कई वस्तुओं के दाम घटा दिए। विशेषज्ञों का मानना है कि नवंबर और दिसंबर में भी CPI मुद्रास्फीति 1% से कम रह सकती है, जिससे आरबीआई के अनुमान और कम हो सकते हैं।
विकास दर में बढ़ोतरी के कारक
अर्थशास्त्रियों की मानें तो GST में कटौती के बाद तिमाही दो में मांग में आई तेजी तिमाही तीन में भी जारी रहने की संभावना है। क्रेडिट वृद्धि में मजबूती, कर संग्रह में तेजी, गैर-तेल और गैर-सोनापूर्ण आयात में वृद्धि और ऑटो सेल्स की बढ़ोतरी सभी आर्थिक गतिविधियों में सुधार का संकेत दे रहे हैं। हालांकि निर्यात में कमी और कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव अभी भी विकास के लिए चुनौती हैं।
मौद्रिक नीति समिति की बैठक में क्या हो सकता है?
अगर शुक्रवार को आरबीआई अपनी विकास दर का अनुमान बढ़ाता है और मुद्रास्फीति का अनुमान कम करता है, तो यह साफ संकेत होगा कि देश की अर्थव्यवस्था अच्छी गति से आगे बढ़ रही है। साथ ही यह दर्शाएगा कि सरकार और आरबीआई मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कदम उठा रहे हैं। यह स्थिति निवेशकों और आम जनता के लिए सकारात्मक संकेत माना जाएगा और आर्थिक विकास को और प्रोत्साहन मिलेगा।
