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17 साल बाद Malegaon Blast Case का फैसला! मालेगांव केस में सभी आरोपी बरी, कोर्ट ने कहा- सबूत नहीं

Malegaon Blast Case: 17 साल बाद मालेगांव बम धमाके मामले में मुंबई की एनआईए स्पेशल कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस केस में आरोपी सभी 7 लोगों को बरी कर दिया है, जिनमें भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित भी शामिल हैं। विशेष न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने कहा कि सरकारी पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि बम मोटरसाइकिल में रखा गया था या बम को लाने व लगाने का ठोस प्रमाण क्या था। कोर्ट ने सबूतों की कमी और गवाहों के बयानों में विरोधाभास को देखते हुए सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया।

जांच में कमियां, सबूत नाकाफी: अदालत ने क्या कहा?

कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि जांच में कई तकनीकी खामियां रहीं। बम विस्फोट स्थल से जरूरी सबूत इकट्ठा नहीं किए गए। मोटरसाइकिल के चेसिस को न तो बहाल किया गया और न ही यह साबित किया गया कि विस्फोटक वहां रखा गया था। एफएसएल रिपोर्ट में भी विसंगतियां पाई गईं। साथ ही, अदालत ने कहा कि साध्वी प्रज्ञा मोटरसाइकिल की मालिक थीं, लेकिन यह साबित नहीं हुआ कि विस्फोट के समय वह बाइक उनके कब्जे में थी।

17 साल बाद Malegaon Blast Case का फैसला! मालेगांव केस में सभी आरोपी बरी, कोर्ट ने कहा- सबूत नहीं

गवाहों के बयान बदले, ATS की भूमिका पर भी सवाल

इस मामले में 323 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे, जिनमें से लगभग 40 गवाहों ने अपने बयान पलट लिए। बचाव पक्ष के वकील ने आरोप लगाया कि एटीएस ने कुछ गवाहों से दबाव में बयान दिलवाए थे। वहीं, आरोपी समीर कुलकर्णी ने कहा कि शुरू से ही पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही है और अब कोर्ट ने उन्हें न्याय दिया है। वहीं पीड़ित पक्ष ने फैसले पर निराशा जताते हुए कहा कि न्याय अभी अधूरा है।

राजनीतिक माहौल और कांग्रेस पर आरोप

जब यह विस्फोट हुआ था, तब महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकार थी। उस समय बीजेपी ने कांग्रेस पर ‘हिंदू आतंकवाद’ की थ्योरी फैलाने का आरोप लगाया था। अब जब सभी आरोपी बरी हो गए हैं, तो राजनीतिक हलकों में यह मुद्दा फिर से गरमाया है। कई नेता इस फैसले को “झूठे मुकदमों की सच्चाई” करार दे रहे हैं, जबकि विपक्ष इसे न्याय में चूक बता रहा है।

 सवाल अभी भी बाकी हैं…

भले ही कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया हो, लेकिन 6 लोगों की मौत और 95 से अधिक घायल लोगों के परिवारों के लिए यह फैसला अंत नहीं है। क्या असली दोषी कभी पकड़ में आएंगे? क्या यह केस फिर से किसी नए सिरे से जांच के लिए खुलेगा? ये सवाल अब भी लोगों के मन में हैं।

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