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कोयला उत्पादन की बड़ी कंपनियों की सब्सिडियरी लिस्टिंग से निवेशकों के लिए खुलेंगे नए अवसर

सरकार ने सार्वजनिक कंपनियों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने कोयला मंत्रालय से कहा है कि कोल इंडिया लिमिटेड की सभी सहायक कंपनियों को 2030 तक शेयर बाजार में लिस्ट कराने की प्रक्रिया शुरू की जाए। इस पहल का उद्देश्य केवल निवेशकों के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित करना नहीं है, बल्कि कंपनियों के संचालन को अधिक सुव्यवस्थित और जवाबदेह बनाना भी है। कोल इंडिया लिमिटेड देश की घरेलू कोयला उत्पादन का 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा संभालती है, इसलिए इसकी सब्सिडियरी कंपनियों का लिस्टिंग में आना ऊर्जा क्षेत्र और निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

2030 तक सब्सिडियरी कंपनियों की लिस्टिंग का प्लान

सूत्रों के अनुसार, कोल इंडिया लिमिटेड को निर्देशित किया गया है कि वह अपनी आठ सहायक कंपनियों को साल 2030 तक शेयर बाजार में लिस्ट कराए। इस कदम से न केवल प्रशासनिक कार्यप्रणाली में सुधार होगा बल्कि कंपनियों की जवाबदेही भी बढ़ेगी। इसके अलावा, इस प्रक्रिया से एसेट मॉनेटाइजेशन और वैल्यू क्रिएशन के अवसर भी मिलेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि सार्वजनिक कंपनियों की सब्सिडियरी को बाजार में लाने से न सिर्फ उनकी वित्तीय पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि निवेशकों और उद्योग के लिए नए अवसर भी खुलेंगे।

कोल इंडिया का शेयर बाजार में प्रदर्शन

कोल इंडिया लिमिटेड ने नवंबर 2010 में शेयर बाजार में प्रवेश किया था। उस समय कंपनी ने 15,199.44 करोड़ रुपये के आईपीओ के जरिए शेयर जारी किए थे, जिसे निवेशकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली थी। आईपीओ 15.28 गुना सब्सक्राइब हुआ था, जो उस समय की सबसे बड़ी सार्वजनिक पेशकशों में से एक थी। वर्तमान में बीएसई पर कोल इंडिया का शेयर लगभग 401.85 रुपये पर कारोबार कर रहा है और कंपनी का मार्केट कैप 2.47 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। यह आंकड़े दिखाते हैं कि कोल इंडिया लिमिटेड का शेयर बाजार में मजबूत प्रदर्शन और निवेशकों का भरोसा बना हुआ है।

कोल इंडिया की आठ सहायक कंपनियां

कोल इंडिया लिमिटेड अपने कारोबार को आठ प्रमुख सहायक कंपनियों के जरिए संचालित करती है। इनमें ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड, भारत कोकिंग कोल लिमिटेड, सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड, वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड, साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड, नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड, महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड और सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड शामिल हैं। इन कंपनियों का शेयर बाजार में लिस्ट होना कोयला क्षेत्र की पारदर्शिता और जवाबदेही को और मजबूत करेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, 2030 तक यह कदम निवेशकों के विश्वास को बढ़ाने और कोल इंडिया के एसेट वैल्यू को बेहतर तरीके से मॉनेटाइज करने में मदद करेगा।

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