दिल्ली की जहरीली हवा पर किरण बेदी का हमला, नेताओं की बंद कमरों की मीटिंग पर उठाए गंभीर सवाल

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने सरकार और मंत्रियों पर सीधा सवाल उठाया है। उन्होंने पूछा कि एनसीआर के कितने मंत्री बिना एयर प्यूरीफायर के काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि क्या किसी मंत्री को सीने में जकड़न खांसी या नाक बहने की समस्या है। उन्होंने सभी के स्वास्थ्य की कामना की लेकिन साथ ही पूछा कि क्या लोगों की रक्षा करना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए।
एयर प्यूरीफायर की सुरक्षा में बैठे अधिकारी कैसे जानें बाहर की हवा
किरण बेदी ने कहा कि अधिकारी दफ्तरों में एयर प्यूरीफायर के साथ बैठते हैं गाड़ियों में प्यूरीफायर के साथ सफर करते हैं और घरों में भी प्यूरीफायर के बीच रहते हैं। ऐसे में उन्हें बाहर की जहरीली हवा का असली अहसास कैसे होगा। उन्होंने कहा कि इसी दौरान आम लोग सीने में जकड़न नाक बहने छींकने खांसी और बुखार से जूझ रहे हैं। लोगों की ऊर्जा कम होती जा रही है और यह सब सरकार के खर्च पर चल रहा है जबकि हर नागरिक को स्वस्थ हवा पाने का अधिकार है।
How officials who are working in offices with purifiers, driving in a car with purifier, and living in a house with purifiers know the air quality outside?
Also All at official costs?
While many are suffering from chest congestion, running noses, sneezing and coughing.
And even…— Kiran Bedi (@thekiranbedi) November 29, 2025
स्मॉग से भरी सड़कों पर जाकर देखने की जरूरत
शनिवार को किरण बेदी ने दिल्ली में प्रदूषण प्रबंधन के तरीकों की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि अफसरों को कीटाणुरहित कमरों की बैठकों से बाहर निकलकर स्मॉग से ढकी सड़कों पर आना चाहिए। तभी उन्हें असली हालात का अंदाजा होगा। उन्होंने कहा कि अगर हर एजेंसी नेतृत्व के साथ काम करे और मैदान में मौजूद रहे तो प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है।
शासन की कमी का नतीजा है प्रदूषण संकट
किरण बेदी ने कहा कि वायु प्रदूषण कोई नया संकट नहीं है बल्कि यह दशकों से चली आ रही खराब शासन व्यवस्था का नतीजा है। उन्होंने कहा कि अब जरूरत है मिलकर काम करने की। आपसी आरोपों से समाधान नहीं निकलेंगे। उन्होंने कहा कि प्रशासन को सोच-समझकर ठोस कदम उठाने होंगे ताकि हर वर्ष दिल्ली व एनसीआर के लोग इस दमघोंटू धुंध से राहत पा सकें।
फील्ड में मौजूद रहना जरूरी: खुली हवा में सांस ही असली समझ
किरण बेदी ने जोर देकर कहा कि लगातार दफ्तरों में बैठकर फैसले लेने से स्थिति नहीं सुधरेगी। सबसे बड़ा जागरण तभी होता है जब अधिकारी रोजाना मैदान में उतरें खुले आसमान के नीचे खड़े हों और उसी हवा में सांस लें जो आम लोग झेल रहे हैं। उन्होंने साफ कहा कि एयर टाइट कमरों से बाहर निकलकर सड़कों पर चलना ही असली जिम्मेदारी का एहसास कराता है और यही प्रदूषण कम करने की दिशा में पहला कदम है।