ग्लोबल तनाव और सेंट्रल बैंक खरीदारी, 2026 में सोना बना रहेगा निवेशकों की पहली पसंद?

वैश्विक अनिश्चितताओं, भू-राजनीतिक तनावों और दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों की लगातार खरीदारी के बीच साल 2025 में सोना निवेशकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण बनकर उभरा। इस साल सोने ने करीब 70 प्रतिशत तक का रिटर्न दिया, जो शेयर बाजार के कई दिग्गज शेयरों से भी कहीं ज्यादा रहा। इसी कारण निवेशकों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। अब जैसे ही 2025 खत्म होने को है, निवेशकों के मन में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या 2026 में भी सोना इसी तरह चमकता रहेगा, या फिर इसमें गिरावट देखने को मिल सकती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि हालात पूरी तरह बदलेंगे नहीं, लेकिन रफ्तार जरूर कुछ धीमी हो सकती है।
एक साल में सोना कितना महंगा हो सकता है?
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि 2025 जैसे असाधारण रिटर्न को दोहराना आसान नहीं होगा, लेकिन इसके बावजूद 2026 में सोना 12 से 15 प्रतिशत तक का रिटर्न दे सकता है। फिलहाल सोने की कीमत लगभग ₹1,35,000 प्रति 10 ग्राम के आसपास बनी हुई है। अनुमान है कि अगर मौजूदा वैश्विक परिस्थितियां बनी रहती हैं, तो 2026 के अंत तक सोने का भाव ₹1,50,000 से ₹1,70,000 प्रति 10 ग्राम के दायरे में पहुंच सकता है। हालांकि, विशेषज्ञ यह भी चेतावनी देते हैं कि बीच-बीच में मुनाफावसूली के कारण अस्थायी गिरावट देखने को मिल सकती है। ऐसी स्थिति में सोना कुछ समय के लिए ₹1,18,000 प्रति 10 ग्राम तक भी फिसल सकता है, लेकिन इसे लंबी अवधि की बड़ी गिरावट नहीं माना जा रहा। कुल मिलाकर, उतार-चढ़ाव के बावजूद सोने का ट्रेंड सकारात्मक रहने की उम्मीद है।
₹3 लाख के निवेश पर कितना मिल सकता है रिटर्न?
अगर कोई निवेशक दिसंबर 2025 के अंत में सोने में ₹3 लाख का निवेश करता है और 2026 में उसे 13 से 15 प्रतिशत का रिटर्न मिलता है, तो एक साल बाद उसका निवेश बढ़कर करीब ₹3.36 लाख से ₹3.45 लाख तक पहुंच सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक तनाव बने रहते हैं, केंद्रीय बैंक सोने की खरीद जारी रखते हैं और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद बनी रहती है, तो सोने की मांग मजबूत रहेगी। ऐसे माहौल में, भले ही कीमतों में कुछ समय के लिए गिरावट आए, लेकिन लंबी अवधि में सोना सुरक्षित निवेश (सेफ हेवन) के रूप में अपनी पकड़ बनाए रख सकता है। यही कारण है कि कई वित्तीय सलाहकार 2026 में भी पोर्टफोलियो के एक हिस्से को सोने में बनाए रखने की सलाह दे रहे हैं।
सोने की कीमतें तय कैसे होती हैं?
भारत में सोने और चांदी की कीमतें रोजाना कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कारकों पर निर्भर करती हैं। सबसे बड़ा असर अमेरिकी डॉलर और रुपये की विनिमय दर का होता है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत डॉलर में तय होती है। जब डॉलर मजबूत होता है या रुपया कमजोर पड़ता है, तो भारत में सोना अपने आप महंगा हो जाता है। इसके अलावा आयात शुल्क, जीएसटी और अन्य कर भी कीमतों को सीधे प्रभावित करते हैं, क्योंकि भारत अपनी जरूरत का बड़ा हिस्सा आयात करता है। अंतरराष्ट्रीय घटनाएं जैसे युद्ध, वैश्विक मंदी, ब्याज दरों में बदलाव और राजनीतिक अस्थिरता भी निवेशकों को जोखिम भरी संपत्तियों से हटाकर सोने की ओर मोड़ देती हैं।
भारत में सोने का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी इसकी कीमतों को प्रभावित करता है। शादी-ब्याह, त्योहारों और शुभ अवसरों पर मांग अचानक बढ़ जाती है, जिससे भाव चढ़ जाते हैं। वहीं, महंगाई और शेयर बाजार में अस्थिरता के समय सोना मूल्य संरक्षण का मजबूत विकल्प माना जाता है। इन्हीं सभी कारणों से 2026 में भी सोना निवेशकों के लिए एक भरोसेमंद विकल्प बना रह सकता है।
