चार विकेट झटकने के बाद भी नहीं मिली राहत, गौतम गंभीर ने हर्षित राणा को समझाया करियर का असली सबक

सिडनी वनडे में भारतीय टीम के युवा गेंदबाज़ हर्षित राणा ने अपने करियर की सबसे बेहतरीन गेंदबाज़ी की। उन्होंने 8.4 ओवर में सिर्फ 39 रन देकर 4 विकेट झटके और भारत को शानदार जीत दिलाई। यह प्रदर्शन उनके लिए करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। लेकिन इस जीत की खुशी के बीच टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर ने जो कहा, वह उतना ही अहम संदेश लेकर आया।
गौतम गंभीर की सलाह – “उड़ना नहीं, ज़मीन पर रहना”
गंभीर ने मैच के बाद BCCI के एक वीडियो में हर्षित की तारीफ तो की, लेकिन उनके शब्दों में एक चेतावनी भी छिपी थी। उन्होंने कहा कि यह तो बस शुरुआत है और अभी करियर खत्म नहीं हुआ है। हर्षित को विनम्र बने रहना चाहिए और अपने पैर ज़मीन पर टिकाए रखने चाहिए। गंभीर का ये संदेश साफ था कि किसी भी खिलाड़ी को सफलता के नशे में बहने की बजाय मेहनत जारी रखनी चाहिए।

सेलेक्शन पर उठे सवाल और गंभीर की सोच
हर्षित राणा के टीम इंडिया में चयन को लेकर कई आलोचनाएं हुई थीं। कुछ लोगों ने इसे गौतम गंभीर की पसंद कहा तो कुछ ने अनुभव की कमी बताई। ऐसे माहौल में हर्षित का शानदार प्रदर्शन उनके आलोचकों के लिए जवाब था। फिर भी गंभीर ने दिखा दिया कि वे केवल तारीफों के कोच नहीं हैं। वे अपने खिलाड़ियों को ज़रूरत पड़ने पर सख्त सलाह देने से भी पीछे नहीं हटते।
कोच श्रवण कुमार का खुलासा – दबाव से बनी मजबूती
हर्षित के घरेलू कोच श्रवण कुमार ने पहले ही बताया था कि गंभीर ने उन्हें शुरुआत में ही साफ शब्दों में कहा था कि “या तो परफॉर्म करो या बाहर बैठो।” इस चेतावनी ने हर्षित को और मेहनत करने की प्रेरणा दी। यही सख्ती आगे जाकर उनके प्रदर्शन में झलकी। श्रवण कुमार का कहना है कि गंभीर जैसे कोच का सीधा और ईमानदार रवैया ही खिलाड़ी को मजबूत बनाता है।
हर सफलता के पीछे छिपा सबक
हर्षित राणा की कहानी आज के हर युवा खिलाड़ी के लिए प्रेरणा है। सिडनी की सफलता ने उन्हें पहचान दिलाई, लेकिन गंभीर की सीख ने उन्हें दिशा दी। खेल में केवल जीतना ही सब कुछ नहीं होता, बल्कि निरंतरता और विनम्रता ही असली पहचान बनाती है। गंभीर की यह ‘कड़वी लेकिन सच्ची’ सलाह हर्षित को लंबे सफर में संतुलित रखेगी।
