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ऑपरेशन सिंदूर के बाद बड़ा खुलासा, CDS अनिल चौहान ने दी नई सैन्य रणनीति की झलक!

भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस अभियान से भारतीय सशस्त्र बलों ने कई अहम सबक सीखे हैं जिन्हें अब भविष्य की सैन्य संरचना में शामिल करना जरूरी है। खास तौर पर उन्होंने जोर दिया कि भारत को पाकिस्तान के हर कोने में इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉनिसेंस (ISR) तथा कॉम्बैट क्षमता मजबूत करनी होगी।

24 घंटे की ऑपरेशनल तैयारी होगी ‘नया नॉर्मल’

जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को डिफेंस थिंक टैंक “भारत शक्ति” द्वारा आयोजित इंडिया डिफेंस कॉन्क्लेव 2025 में यह बातें कही। उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों को अब 24×7 ऑपरेशनल तैयारियों को अपनी आदत बनाना होगा। यह समय की मांग है क्योंकि अब युद्ध का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। उन्होंने कहा, “हमें अपनी एयर डिफेंस, अनमैन्ड एरियल सिस्टम (UAS) और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर की क्षमता को और बेहतर करना होगा। यह हमारा नया नॉर्मल होना चाहिए क्योंकि आने वाले समय में युद्ध की यही दिशा होगी।”

ऑपरेशन सिंदूर के बाद बड़ा खुलासा, CDS अनिल चौहान ने दी नई सैन्य रणनीति की झलक!

तकनीकी बढ़त ही होगी भारत की ढाल

CDS चौहान ने कहा कि भविष्य के युद्ध पारंपरिक नहीं बल्कि तकनीक आधारित होंगे। इसलिए भारत को हर मोर्चे पर तकनीकी बढ़त बनाए रखनी होगी। उन्होंने कहा, “पिछली बार हमने स्थिर ठिकानों को निशाना बनाया था, लेकिन अब हमें चलती-फिरती लक्ष्यों पर भी हमले करने की क्षमता विकसित करनी होगी।” उनका इशारा इस ओर था कि भारत को अपने हथियार तंत्र, ड्रोन युद्ध क्षमता और साइबर इंटेलिजेंस को और अधिक उन्नत करना चाहिए ताकि किसी भी परिस्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सके।

थिएटर कमांड मॉडल में शामिल होंगे नए सबक

CDS अनिल चौहान ने थिएटराइजेशन यानी तीनों सेनाओं की संयुक्त कमान की योजना पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद जो अनुभव मिले हैं, उन्हें इस मॉडल में शामिल किया जाएगा। उनका कहना था कि भारत ने उरी, बालाकोट, सिंदूर, गलवान, डोकलाम और कोविड जैसी परिस्थितियों से जो सबक सीखे हैं, वे हमारी संयुक्त युद्ध प्रणाली का हिस्सा बनने चाहिए। इन अनुभवों के आधार पर अब एक ऐसा संगठनात्मक ढांचा तैयार किया जाएगा जो हर मौसम और हर परिस्थिति के अनुकूल हो।

भविष्य की दिशा: आत्मनिर्भर और सशक्त भारत

CDS चौहान के बयान से यह साफ है कि भारतीय सेना अब पुराने ढर्रे पर नहीं बल्कि आधुनिक और आत्मनिर्भर सैन्य रणनीति की दिशा में आगे बढ़ रही है। भारत न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी सैन्य साख बनाए रखने के लिए भी तैयार हो रहा है। ऑपरेशन सिंदूर से लेकर गलवान तक का सफर भारत को यह सिखा गया है कि तकनीक, एकजुटता और त्वरित प्रतिक्रिया ही भविष्य के युद्ध की कुंजी होगी।

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