म्यूचुअल फंड चुनने से पहले जानिए Farhad Gadiwala की एक्सपर्ट टिप्स, ये फैक्टर्स हैं बेहद जरूरी

आज म्यूचुअल फंड्स निवेशकों के पोर्टफोलियो में एक आम विकल्प बन गए हैं। आमतौर पर निवेशक 12 से 14 प्रतिशत की न्यूनतम संभावित रिटर्न की उम्मीद करते हैं। हालांकि, इस रिटर्न का स्तर बाजार की उतार-चढ़ाव पर भी निर्भर करता है। कई लोग केवल पिछले रिटर्न देखकर फंड का चुनाव कर लेते हैं, लेकिन यह बिल्कुल सही तरीका नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि सही फंड चुनने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान देना आवश्यक है।
निवेश के उद्देश्य और समय सीमा को समझें
UTI AMC के कार्यकारी उपाध्यक्ष और प्रमुख, फरहाद गड़ीवाला के अनुसार, सही म्यूचुअल फंड चुनना केवल रिटर्न को देखकर नहीं होता। सबसे पहले आपको अपने निवेश के उद्देश्य, समय सीमा और जोखिम लेने की क्षमता को समझना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आप लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं और जोखिम उठा सकते हैं, तो इक्विटी फंड्स आपके लिए उपयुक्त होंगे। वहीं, यदि आप दो-तीन साल के अंदर फंड का उपयोग विवाह, शिक्षा या अन्य उद्देश्यों के लिए करना चाहते हैं, तो हाइब्रिड और डेट फंड्स बेहतर विकल्प हैं, जो कम जोखिम में अच्छे रिटर्न दे सकते हैं।
रिटर्न के बजाय रोलिंग रिटर्न पर ध्यान दें
सिर्फ पिछले 1, 2 या 5 साल के रिटर्न देखकर फंड का चुनाव करना सही नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार की उतार-चढ़ाव के दौरान फंड किस प्रकार से प्रदर्शन कर रहा है, यह देखना बहुत जरूरी है। इसके लिए रोलिंग रिटर्न और शार्प रेशियो जैसे जोखिम मापदंडों पर ध्यान देना चाहिए। यह आंकड़े निवेशकों को फंड की स्थिरता और बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान फंड की क्षमता को समझने में मदद करते हैं।
चार्ज और पोर्टफोलियो विवरण पर ध्यान दें
म्यूचुअल फंड चुनते समय फंड के एक्सपेंस रेशियो, शामिल सेक्टर और फंड मैनेजर के प्रदर्शन पर भी ध्यान देना चाहिए। उच्च चार्ज वाले फंड लंबे समय में आपके रिटर्न को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा, फंड मैनेजर की रणनीति और उनका अनुभव निवेश की सफलता में अहम भूमिका निभाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन सभी कारकों का मूल्यांकन करने के बाद ही निवेश करना चाहिए, ताकि फंड आपके निवेश उद्देश्य, समय सीमा और जोखिम क्षमता के अनुसार सही हो।