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Asaduddin Owaisi का आरोप, मुस्लिमों पर बढ़ रहा मनमानी शक्तियों का प्रयोग

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद Asaduddin Owaisi ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि मुस्लिमों के खिलाफ मनमानी शक्तियों का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि सम्मान और गरिमा भारतीय संविधान में निहित मौलिक अधिकार हैं और इन्हें छीना नहीं जा सकता। महाराष्ट्र में एक मस्जिद पर हुए हमले और भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता शुभेंदु अधिकारी की टिप्पणी का जिक्र करते हुए ओवैसी ने कहा कि देश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।

BJP नेता शुभेंदु अधिकारी की विवादित टिप्पणी

ओवैसी ने पश्चिम बंगाल में बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी के उस बयान का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर बंगाल में बीजेपी सत्ता में आती है तो तृणमूल कांग्रेस (TMC) के मुस्लिम विधायक विधानसभा से बाहर निकाल दिए जाएंगे। शुभेंदु अधिकारी की इस टिप्पणी को लेकर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है और अल्पसंख्यक समुदाय में नाराजगी देखी जा रही है।

उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों को लेकर बयानबाजी

ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के एक बीजेपी नेता के बयान का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि मुस्लिम पुरुषों को होली के दौरान परेशानी से बचने के लिए टारपॉलिन से बना हिजाब पहनना चाहिए। उन्होंने इस बयान की कड़ी आलोचना की और इसे मुस्लिम समुदाय का अपमान करार दिया।

Asaduddin Owaisi का आरोप, मुस्लिमों पर बढ़ रहा मनमानी शक्तियों का प्रयोग

इसके अलावा, ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उस टिप्पणी पर भी सवाल उठाए, जिसमें उन्होंने मुस्लिम समुदाय से अपील की थी कि होली के दिन शुक्रवार की नमाज घर पर पढ़ी जाए। ओवैसी ने संविधान के अनुच्छेद 25 का हवाला देते हुए कहा कि भारत में हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है और कोई भी सरकार इसे छीन नहीं सकती।

ओवैसी का योगी आदित्यनाथ को जवाब

ओवैसी ने योगी आदित्यनाथ के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मैं अपने धर्म के बारे में धार्मिक विद्वानों से सीखूंगा, मुख्यमंत्री से नहीं।” उन्होंने कहा कि “एक मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि शुक्रवार की नमाज घर पर पढ़ी जा सकती है। क्या मुझे अपने धर्म के बारे में उनसे सीखना चाहिए? यहां धार्मिक स्वतंत्रता है। हम मस्जिद जाएंगे, क्योंकि हमें इसका अधिकार है।”

संविधान का अनुच्छेद 25 और धार्मिक स्वतंत्रता

ओवैसी ने अपने भाषण में संविधान के अनुच्छेद 25 का जिक्र करते हुए कहा कि यह अनुच्छेद भारत में हर नागरिक को अपने धर्म का पालन करने, प्रचार करने और स्वतंत्र रूप से धार्मिक गतिविधियां करने का अधिकार देता है। उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 25 हमें मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ने की अनुमति देता है। यह हमारा संवैधानिक अधिकार है और कोई भी सरकार हमें इससे वंचित नहीं कर सकती।”

महाराष्ट्र में मस्जिद पर हमले का जिक्र

ओवैसी ने महाराष्ट्र में एक मस्जिद पर हुए हमले की भी निंदा की और कहा कि इस तरह की घटनाएं अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना बढ़ा रही हैं। उन्होंने सरकार से इस घटना की निष्पक्ष जांच कराने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की।

1947 के विभाजन पर ओवैसी का बयान

ओवैसी ने 1947 के विभाजन का जिक्र करते हुए कहा कि जो लोग पाकिस्तान चले गए, उन्हें कायर माना गया, लेकिन जो यहां रुके, उन्होंने भारत को अपनी मातृभूमि माना और हमेशा मानते रहेंगे। उन्होंने कहा, “हमने भारत को अपनी मातृभूमि के रूप में चुना और हम यहां रहेंगे। कोई भी ताकत हमें हमारे अधिकारों से वंचित नहीं कर सकती।”

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं

ओवैसी के इस बयान पर बीजेपी और अन्य राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। बीजेपी के प्रवक्ता ने कहा कि ओवैसी हर मुद्दे को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि कांग्रेस ने भी इस मामले में बीजेपी को घेरते हुए कहा कि देश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा होनी चाहिए।

क्या ओवैसी की टिप्पणी 2024 चुनावों को प्रभावित करेगी?

ओवैसी के इस बयान को 2024 के आम चुनावों से जोड़कर भी देखा जा रहा है। AIMIM पार्टी का प्रयास है कि वह मुस्लिम मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करे। वहीं, बीजेपी इस बयान को अपने एजेंडे के खिलाफ मान रही है और इसे ‘ध्रुवीकरण की राजनीति’ करार दे रही है।

असदुद्दीन ओवैसी के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हो रहे कथित अन्याय को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों को आड़े हाथों लिया है। ओवैसी का कहना है कि संविधान ने सभी नागरिकों को बराबर अधिकार दिए हैं और किसी को भी धर्म के नाम पर भेदभाव करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह बयान राजनीतिक रूप से क्या असर डालता है और क्या इसे आगामी चुनावों में मुद्दा बनाया जाएगा।

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