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8th Pay Commission: कर्मचारियों को झटका, फिटमेंट फैक्टर घटा तो उम्मीदों पर फिरा पानी!

देश के करीब 33 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को लंबे समय से 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) का इंतजार है। जनवरी 2025 में इसके गठन की घोषणा के बाद भी अब तक इसका औपचारिक गठन नहीं हुआ है। इस बीच, एक नई रिपोर्ट सामने आई है जिसने इन कर्मचारियों की चिंता को और बढ़ा दिया है। दरअसल, कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बार 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 7वें वेतन आयोग से कम रह सकता है। अनुमान है कि यह करीब 1.8 के आसपास हो सकता है, जिससे सैलरी में महज़ 13% तक ही बढ़ोतरी संभव हो सकती है।

यह अनुमान पिछली बार के मुकाबले काफी कम है। 2016 में लागू हुए 7वें वेतन आयोग में 14.3% की बढ़ोतरी हुई थी (जिसमें भत्ते शामिल नहीं थे)। ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि 8वें वेतन आयोग में भी कम से कम इतनी ही बढ़ोतरी होगी। लेकिन नई रिपोर्ट से साफ हो गया है कि इस बार वेतन वृद्धि पहले की तुलना में कम हो सकती है।

क्या होता है फिटमेंट फैक्टर?

फिटमेंट फैक्टर वह गुणांक है, जिसके आधार पर किसी कर्मचारी के पुराने मूल वेतन (Basic Salary) को नई सैलरी में बदला जाता है। इसे सरल भाषा में ऐसे समझा जा सकता है: अगर किसी कर्मचारी का मूल वेतन 20,000 रुपये था और फिटमेंट फैक्टर 2.57 था (जैसा कि 7वें वेतन आयोग में था), तो उसका नया मूल वेतन 51,400 रुपये हो गया।

कोटक की रिपोर्ट के मुताबिक अगर 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 1.8 तय होता है, तो वेतन में 13% से अधिक की वृद्धि नहीं हो पाएगी। ध्यान देने वाली बात यह है कि फिटमेंट फैक्टर केवल मूल वेतन पर लागू होता है, न कि पूरी सैलरी पर। इसलिए अगर 1.8 का फैक्टर लागू होता है, तो सैलरी सीधे 1.8% नहीं बढ़ेगी, बल्कि उसकी गणना मूल वेतन पर की जाएगी, और फिर अन्य भत्ते जोड़कर कुल सैलरी तय की जाएगी।

8th Pay Commission: कर्मचारियों को झटका, फिटमेंट फैक्टर घटा तो उम्मीदों पर फिरा पानी!

इसका मतलब यह हुआ कि इस बार एकमुश्त बढ़ोतरी (One-time Hike) पहले से कम रह सकती है। हालांकि अभी तक सरकार या वित्त मंत्रालय की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

कब लागू होगा 8वां वेतन आयोग?

वेतन आयोग का गठन हर 10 साल में किया जाता है, और यह केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन और पेंशन से जुड़े मामलों की समीक्षा करता है। 7वां वेतन आयोग 2016 में लागू किया गया था और उसका कार्यकाल दिसंबर 2025 में समाप्त होगा। ऐसे में 8वें वेतन आयोग को जनवरी 2026 से लागू किया जाना प्रस्तावित है।

लेकिन अब तक आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति नहीं हुई है। गठन के बाद वेतन आयोग केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारियों, पेंशनर्स के प्रतिनिधियों, विशेषज्ञों और कर्मचारी संगठनों से बातचीत करके एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करता है। इसके बाद यह रिपोर्ट मंत्रिमंडल (कैबिनेट) की मंजूरी के लिए भेजी जाती है, तभी इसे लागू किया जाता है।

अगर किसी कारणवश इसके गठन या रिपोर्ट में देर होती है, तो जनवरी 2026 से लागू तो किया जाएगा, लेकिन कर्मचारियों और पेंशनर्स को बकाया वेतन (arrears) के रूप में भुगतान करना पड़ेगा। इससे पहले भी 6वें और 7वें वेतन आयोग में यही प्रक्रिया अपनाई गई थी।

कर्मचारी संगठनों की नाराजगी संभव

जहां एक ओर सरकार अभी तक वेतन आयोग को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई है, वहीं दूसरी ओर कर्मचारी संगठनों में नाराजगी का माहौल भी बन सकता है। उनका मानना है कि महंगाई भत्ते (DA) में लगातार बढ़ोतरी के बावजूद वास्तविक वेतन में बढ़ोतरी अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो रही है। अगर फिटमेंट फैक्टर 1.8 ही रहता है, तो यह कई कर्मचारियों के लिए निराशाजनक हो सकता है।

कई कर्मचारी संगठनों ने पहले ही मांग की थी कि फिटमेंट फैक्टर कम से कम 2.67 या 3.0 होना चाहिए, ताकि उनकी वास्तविक क्रय शक्ति में सुधार हो सके। लेकिन कोटक की रिपोर्ट ने संकेत दिया है कि सरकार इस बार वेतन बढ़ोतरी को संयमित रखने के मूड में है। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि इससे केंद्र सरकार पर वित्तीय बोझ भी सीमित रहेगा।

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